वाराणसी (सुरेश गांधी)। भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय में बुधवार को अमेरिकी टैरिफ़ से कालीन और हस्तशिल्प उद्योग पर पड़ने वाले असर को लेकर उच्चस्तरीय बैठक हुई। इस दौरान कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह को ज्ञापन पत्र सौंपा. पत्रक को लेने के बाद वस्त्र मंत्री ने ट्रंप टैरिफ से हड़बडाएं उद्यमियों को सरकार से राहत पैकेज पर विचार करने का भरोसा दिया. बैठक में राज्य मंत्री पवित्रा मार्गरीटा, टेक्सटाइल सेक्रेटरी, डीसी हैंडीक्राफ्ट, ट्रेड एडवाइज़र शुभ्रा, अमित कुमार और मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। बता दें, राष्ट्रीय स्तर के इस कॉन्क्लेव में सीईपीसी और एकमा के प्रतिनिधियों सहित जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से आए उद्योग जगत के दिग्गजों ने भाग लिया। उपाध्यक्ष राजेश कुमार, मानद सचिव एवं सीईपीसी सदस्य पीयूष बरनवाल, पूर्व मानद सचिव एवं सीईपीसी सदस्य असलम महबूब, जम्मू-कश्मीर से मेहराज जान, ओबीटी से स्मिता नागरकोटी और गौरव शर्मा शामिल रहे। पीयूष बरनवाल एवं असलम महबूब ने कहा कि भारतीय कालीन उद्योग अपनी विशिष्ट हस्तनिर्मित मख़मली बुनाई के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह उद्योग देश को 17 हज़ार करोड़ रुपये का वार्षिक निर्यात देता है और करीब 28-30 लाख लोगों की आजीविका का सहारा है, जिनमें 25 फीसदी महिलाएं हैं। उन्होंने चेताया कि चूंकि हमारे कुल उत्पादन का 60 फीसदी हिस्सा अमेरिका को जाता है और 98 फीसदी उत्पादन निर्यात आधारित है, इसलिए अमेरिकी सरकार का 50 फीसदी टैरिफ़ उद्योग की कमर तोड़ देगा और लाखों परिवारों को बेरोज़गारी के मुहाने पर ला देगा। बैठक में फोकस लाइसेंस, आयकर में छूट, 25 फीसदी बेलआउट पैकेज, रोडटेप योजना की बहाली, इंटरेस्ट सबवेंशन जैसे राहत उपायों की मांग की गई। इसके साथ ही अक्टूबर में होने वाले भदोही एक्सपो के लिए अनुदान की स्वीकृति शीघ्र भेजने की भी अपील की गई, ताकि उद्योग को रियायती दर पर मेले की सुविधा मिल सके। वस्त्र मंत्री ने उद्योग के प्रति सकारात्मक रुख अपनाते हुए भरोसा दिलाया कि इन मांगों पर गंभीरता से विचार होगा।
कालीन उद्योग पर संकट के 5 बड़े कारण
50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ़ : निर्यात की लागत में सीधा उछाल, प्रतिस्पर्धा में गिरावट।
अमेरिका पर 60 फीसदी निर्भरता : मुख्य बाज़ार पर शुल्क का असर पूरे उद्योग पर भारी।
98 फीसदी निर्यात आधारित उत्पादन : घरेलू मांग बेहद सीमित, विकल्प बाजार कम।
30 लाख रोज़गार खतरे में, जिनमें 25 फीसदी महिलाएं, जिनकी आय पर सीधा असर।
विनिर्माण पूरी तरह हस्तनिर्मित : मशीन आधारित उत्पादन नहीं, लागत घटाना मुश्किल।
सरकार से उद्योग की 6 प्रमुख मांगें
फोकस लाइसेंस की बहाली
आयकर में छूट की सुविधा
25 फीसदी बेलआउट पैकेज
रोडटेप योजना में लाभ की वापसी
इंटरेस्ट सबवेंशन की पुनर्बहाली
भदोही एक्सपो के लिए अनुदान की त्वरित स्वीकृति

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