दिल्ली : अदालतों को चुनावों को अमान्य करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए : उच्चतम न्यायालय - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


मंगलवार, 19 अगस्त 2025

दिल्ली : अदालतों को चुनावों को अमान्य करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए : उच्चतम न्यायालय

sc-on-election-result
नई दिल्ली (रजनीश के झा)। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अगर चुनाव परिणाम प्रभावित न हो तो सिर्फ इस आधार पर चुनावों को अमान्य घोषित करने में अदालतों को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए कि निर्वाचित उम्मीदवार ने अपनी संपत्ति के बारे में कुछ जानकारी का खुलासा नहीं किया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2024 के आदेश के खिलाफ एक अपील ठुकरा दी। उच्च न्यायालय ने तेलंगाना में 2023 के विधानसभा चुनावों से संबंधित एक चुनाव याचिका को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनाव याचिका में मुद्दा यह था कि क्या उम्मीदवार द्वारा फॉर्म 26 हलफनामे में पिछले पांच वित्तीय वर्षों में से चार वित्तीय वर्षों के आयकर रिटर्न में दर्शाई गई आय का खुलासा न करना भ्रष्ट आचरण माना जाएगा। पीठ ने 14 अगस्त को कहा, "कानूनी स्थिति के आलोक में, मामले की विशिष्ट पृष्ठभूमि में तथ्यों पर गौर करने पर, हम मानते हैं कि प्रतिवादी द्वारा चार वित्तीय वर्षों के आयकर रिटर्न में आय का खुलासा न करना, कोई ठोस प्रकृति का दोष नहीं है।" न्यायालय ने कहा कि जानकारी का खुलासा न करने का दोष कोई गंभीर प्रकृति का नहीं था, और इसके परिणामस्वरूप निर्वाचित उम्मीदवार कोवा लक्ष्मी को भ्रष्ट आचरण में लिप्त नहीं पाया गया। आदेश में कहा गया है कि संपत्ति का खुलासा न करना वास्तविक प्रकृति का है या नहीं, न्यायालयों को पिछले फैसले के अनुरूप प्रत्येक मामले के विशिष्ट तथ्यों के आधार पर इसका निर्धारण करना होगा। इसमें कहा गया है, "केवल इसलिए कि निर्वाचित उम्मीदवार ने संपत्ति से संबंधित कुछ जानकारी का खुलासा नहीं किया, अदालतों को अत्यधिक पांडित्यपूर्ण और कठोर दृष्टिकोण अपनाकर चुनाव को अमान्य करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, जब तक कि यह न दर्शाया जाए कि इस तरह के तथ्यों का छिपाव या गैर-प्रकटीकरण इतनी बड़ी और पर्याप्त प्रकृति का था कि इससे चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकता था।" पीठ ने कहा कि इस मामले में यह प्रदर्शित नहीं किया गया कि संपत्ति से संबंधित कुछ जानकारी को छिपाना या उसका खुलासा न करना, ऐसी प्रकृति का था, जिससे निर्वाचित उम्मीदवार के चुनाव परिणाम पर भौतिक रूप से प्रभाव पड़ा हो।

कोई टिप्पणी नहीं: