भोपाल : सुनते ही दौड़े चले आए मोहन, लगाया गले से सुदामा को मोहन... - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 20 सितंबर 2025

भोपाल : सुनते ही दौड़े चले आए मोहन, लगाया गले से सुदामा को मोहन...

  •  श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन पंडित विद्याधर उपाध्याय ने सुदामा चरित्र का भावपूर्ण वर्णन सुनाया

Bhagwat-katha-harda
हरदा/भोपाल, खेड़ीपुरा भगवा चौक वार्ड 03 पर विगत सात दिनों से जारी श्राद्ध पक्ष में खेड़ापति परिवार एवं नगरवासियों के सहयोग से आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का शुक्रवार को भव्य समापन हुआ। अंतिम दिवस पर हरदा के सुप्रसिद्ध कथा वाचक नयापुरा वाले पंडित विद्याधर उपाध्याय ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर देने वाला सुदामा चरित्र, कृष्ण की 16,108 रानियों की कथा और परीक्षित मोक्ष प्रसंग सुनाया।


सुदामा चरित्र, सच्ची मित्रता का उदाहरण

कथा के दौरान जब पंडित उपाध्याय ने भावविभोर कर देने वाला भजन सुनते ही दौड़े चले आए मोहन, लगाया गले से सुदामा को मोहन...सुनाया तो श्रद्धालु भक्ति में झूम उठे और पूरा पंडाल गूंज उठा। कथा वाचक ने कहा कि निर्धन सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर उधार लिए गए चावलों की छोटी-सी पोटली लेकर अपने मित्र कृष्ण से मिलने द्वारका पहुंचे। जैसे ही द्वारपाल ने सुदामा का नाम बताया, श्रीकृष्ण नंगे पाँव दौड़ते हुए बाहर आए और सुदामा को गले से लगाकर राजमहल में ले गए। उन्होंने अपने सिंहासन पर बैठाकर स्वयं उनके पाँव धोए और बिना माँगे ही उनके घर वैभव और समृद्धि का वरदान दे दिया। इस प्रसंग का कलाकारों ने हूबहू मंचन उनके समाने किया जिसे देख श्रोताओं की आँखें नम हो गईं। कथा वाचक पंडित उपाध्याय ने कहा सच्चा मित्र वही है, जो समय और परिस्थिति में साथ खड़ा रहे। मित्रता का अर्थ लाभ-हानि से नहीं, बल्कि निस्वार्थ प्रेम से है। कृष्ण-सुदामा की मित्रता हमें यही सिखाती है कि राजा और रंक भी मित्रता में समान होते हैं। कथा में यह भी बताया गया कि भगवान श्रीकृष्ण ने आठ प्रमुख रानियों से विवाह किया और गृहस्थ धर्म का पालन किया। इसके साथ ही नरकासुर वध के बाद 16,100 कन्याओं को बंधन से मुक्त कर उनका समाज में सम्मान सुरक्षित रखने हेतु उनसे विवाह किया। यह प्रसंग भगवान के करुणा और धर्मपालन का दिव्य उदाहरण प्रस्तुत करता है। अंतिम दिवस का सबसे भावपूर्ण प्रसंग राजा परीक्षित की कथा रही। जब शृंगी ऋषि के श्राप से सातवें दिन तक्षक नाग द्वारा मृत्यु का समय निश्चित हुआ, तब परीक्षित ने सब राजकीय कार्य छोड़कर गंगा तट पर श्रीशुकदेवजी से सात दिन तक भागवत कथा का श्रवण किया। बिना जल-अन्न ग्रहण किए वे निरंतर भगवान की कथाओं में तल्लीन रहे। कथा समाप्त होते ही तक्षक नाग ने डसकर उनका अंत कर दिया, परंतु श्रीशुकदेवजी के उपदेश और भागवत श्रवण के बल पर उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ।


शोभायात्रा निकाली और प्रसादी वितरण किया

समापन अवसर पर नगर सहित दूर-दराज़ से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुँचे। भजनों पर भक्त नृत्य करते रहे और पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। हवन-यज्ञ व पूर्णाहुति के पश्चात प्रसादी वितरण हुआ और नगर में शोभायात्रा निकाली गई। कथा के समापन पर सिविल लाइन थाना के नवीन थाना प्रभारी आर एस तिवारी टीआई साहब भी उपस्थित हुए और उन्होंने कथा व्यास का पूजन कर श्रद्धालुओं को यातायात के नियमों का पालन करने और सड़क नियमों का पालन करने हेतु जागरूक किया गया। आयोजन समिति खेड़ापति परिवार समिति ने सभी यजमानों, कथा के यजमान अरुण शर्मा, विजय जोशी, गोविंद पचोरे, श्रीमती रक्षा मुन्नालाल धनगर (पार्षद), दिनेश मौर्य (पार्षद), अनिल चंदेवा, देवेंद्र भामदरें, संजय भावसार, राजू हरणे, हेमंत मोराने, शुभम भामदरें, मोनू उन्हाले, विजय भावसार, आशीष गुर्जर, दिनेश चंदेवा, ज्ञानेश चौबे, संजय सराफ, राधेश्याम राजपूत, मिट्ठू प्रजापति, राकेश भैया, भगत चंदेवा, राकेश मिश्रा, गोपाल जोशी, छोटू भैया अन्य सभी मोहल्लेवासियों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।

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