- ग्राम प्रधान एवं पंचायत सचिवों में भी दिखने लगा भ्रष्टाचार का भय
- प्रत्येक योजना के लाभ देने में नियमानुसार कार्य होने की होने लगी हैं बात
- मनरेगा में बिना काम किए लाभ लेने वालों को रटाया जाने लगा पाठ
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई पंचायतों में मनरेगा कार्यों में लापरवाही और धन के दुरुपयोग की शिकायतें लंबे समय से की जा रही थीं, लेकिन प्रशासन ने सख्ती नहीं दिखाई। अब सरकंडी की कार्यवाही ने बाकी पंचायतों को सचेत कर दिया है। सरकंडी गांव के ही एक निवासी का कहना है कि गांव में हुए कार्यों की जांच बिल्कुल सही कदम है। अगर योजनाओं का पैसा सही तरीके से खर्च नहीं हुआ है तो कार्रवाई होनी ही चाहिए। इससे बाकी पंचायतों को भी सबक मिलेगा। वहीं, पास के गांव की निवासी एक महिला ने कहा कि गांव के विकास का पैसा जनता का है। अगर कोई रोजगार सेवक या प्रधान या फिर कोई भी अधिकारी या कर्मचारी उसमें गड़बड़ी करेगा तो उसे बख्शा नहीं जाना चाहिए। सरकंडी का मामला हम सबके लिए चेतावनी है। ग्राम पंचायतों के कई रोजगार सेवकों का मानना है कि योजनाओं में पारदर्शिता और प्रशासनिक निगरानी बेहद जरूरी है, ताकि बिना वजह आरोप-प्रत्यारोप और कार्रवाई का खतरा न बने। वहीं, जिला पंचायतीराज विभाग के सूत्र बताते हैं कि शासन स्तर से भी स्पष्ट निर्देश हैं कि मनरेगा और अन्य विकास कार्यों में गड़बड़ी पाए जाने पर किसी भी स्तर के जिम्मेदार को बख्शा नहीं जाएगा।
हालांकि पूरे प्रकरण में जिला पंचायतीराज अधिकारी (डीपीआरओ) उपेन्द्र राज ने कहा है कि शासन की मंशा साफ है कि मनरेगा और विकास कार्यों में किसी भी स्तर पर गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकंडी पंचायत की तरह अन्य जगह भी यदि शिकायतें मिलेंगी और जांच में सत्य पाई गईं, तो कठोर कार्रवाई होगी। जिम्मेदारी से बचने का अवसर किसी को नहीं मिलेगा। वहीं अधिकांश ग्राम पंचायतों में सरकंडी काण्ड के बाद से बदलाव की बयार देखने को मिलने लगी है। पंचायतों में योजनाओं का लाभ लेने वाले लाभार्थियों को अब शासन के कायदे - कानून बताए जाने लगे हैं जबकि पहले हर कार्य के एवज में नीचे से लेकर ऊपर तक खर्चा की बात कहकर मांग होती थी। इसके साथ ही मनरेगा घोटाला न खुल सके इसके लिए मनरेगा में जिन बिना काम करने वालों को लाभ दिया जाता रहा है अब उनको बुलाकर तोता की भांति रटाया जा रहा है कि कोई भी जांच आए या अधिकारी आए तो उनको कबूल करना होगा कि हां हमने मजदूरी की है और मजदूरी का भुगतान खाते पर मिला है। खैर सरकंडी प्रकरण ने यह साबित कर दिया है कि अब लापरवाही या भ्रष्टाचार करने वालों को बख्शने का दौर खत्म हो चुका है। ऐसे में पंचायतों में काम कर रहे रोजगार सेवक, प्रधान और सचिव अब अपने कार्यों को लेकर सतर्कता बरतने लगे हैं।
मनरेगा में खेला करने की निशानदेहियां
1. हाजिरी के नाम पर सबसे बड़ा खेल करते हैं ग्राम रोजगार सेवक
2. ठेकेदारी प्रथा के तहत अधिकांश काम करवाते हैं ग्राम रोजगार सेवक
3. बिना काम करने वालों के खाते में पैसा डालकर उनको 500 या कुछ धनराशि देकर पूरा पैसा लेते हैं रोजगार सेवक
4. मनरेगा के उद्देश्यों को धता बताकर काम करते हैं ग्राम रोजगार सेवक
5. बकौल ग्राम रोजगार सेवक, सबको कमीशन देना पड़ता है प्रत्येक कार्य पर तब पास होता है पैसा
6. मनरेगा जॉब कार्ड की जांच की जाएं तो मिलेंगी बड़ी से बड़ी खामियां
7. कुछ जगहों पर एक जॉब कार्ड धारक एक ही तारीख में एक ही पंचायत से उठा रहा दो - दो भुगतान

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें