- असम के जनजातीय किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में पहल
कार्यक्रम के शुभारंभ पर संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. अशुतोष उपाध्याय ने कहा कि समेकित कृषि प्रणाली लघु एवं सीमान्त किसानों की आजीविका सुधारने, जोखिम घटाने और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में प्रभावी साधन है। डॉ. कमल शर्मा, पाठ्यक्रम निदेशक एवं प्रमुख, पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन प्रभाग ने प्रशिक्षण की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि इसमें कक्षा-आधारित शिक्षण के साथ प्रक्षेत्र भ्रमण भी शामिल है, जिससे किसानों को व्यावहारिक अनुभव मिलेगा। डॉ. संजीव कुमार, पाठ्यक्रम निदेशक एवं प्रमुख, फसल अनुसंधान प्रभाग ने 1 एवं 2 एकड़ भूमि के लिए तैयार व्यापक आईएफएस मॉडल की जानकारी दी और बताया कि इन मॉडलों में फसल, पशुपालन, मत्स्यपालन व अन्य गतिविधियों का समावेश कर किसानों की आय एवं पोषण सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है। कार्यक्रम का समन्वय वैज्ञानिकों की टीम द्वारा किया जा रहा है जिसमें डॉ. शिवानी, डॉ. पी.सी. चन्द्रन, डॉ. बिश्वजीत देबनाथ, डॉ. रोहन कुमार रमण एवं डॉ. तारकेश्वर कुमार शामिल हैं। तकनीकी सहयोग श्री अनिल कुमार, श्री अमरेन्द्र कुमार, श्री उमेश कुमार मिश्र, श्री विजय बाबू राम एवं अन्य कार्मिकों द्वारा प्रदान किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों—विशेषकर महिलाओं को ऐसा ज्ञान एवं कौशल प्रदान करना है, जिससे वे असम की कृषि-परिस्थितिकी के अनुरूप जलवायु-सहिष्णु एवं लाभकारी कृषि प्रणाली विकसित कर सकें।

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