कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्र के संचालक श्री सिंह ने कहा कि राजा और गुरु के पास खाली हाथ नहीं जाते है, यह हमारे देश की परम्परा है कि गुरु का सम्मान किया जाना चाहिए। संस्कृत के बाद यदि भारतीय संस्कृति की पहचान किसी भाषा में सुरक्षित है, तो वह हिन्दी है। उत्तर भारत में आज भी कबीर की वाणी और रामचरितमानस जितने मनोयोग के साथ पढ़ें और गुने जाते हैं, उतने मनोयोग से किसी भी भाषा का साहित्य नहीं पढ़ा जाता। किसी भी भाषा का स्वरूप उसकी जनता तय करती हैं, इसलिए हिन्दी एक वचन नहीं बहुवचन है। यह बहु वचनता ही उसकी असल ताकत है। यह बहुवचनता जब तक बनी रहेगी, तब तक हिन्दी बची रहेगी। हिन्दी की असल ताकत उसकी बोलियां है। इसीलिए हिन्दी साहित्य का स्वर्ण युग भक्ति काल है और भक्ति काल हिन्दी की बोलियों का साहित्य है। यह हमारा सौभाग्य है कि श्रद्धा भक्ति सेवा समिति के तत्वाधान में लंबे समय से पूर्व शिक्षक और साहित्य के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे श्री शर्मा का सम्मान किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान अनेक वक्ताओं ने यहां पर उपस्थित लोगों को संबोधित किया।
सीहोर। शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प नशा मुक्ति केन्द्र में श्रद्धा भक्ति सेवा समिति के तत्वाधान में रविवार को राष्ट्रीय हिन्दी दिवस पर दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर पहले दिन लगातार 45 सालों से साहित्य के क्षेत्र में कवि के रूप में अपनी सेवा दे रहे पूर्व शिक्षक हरि ओम शर्मा दाऊ, उज्जैन के कवि रमेश कुमार, विदिशा के मनीष कुमावत, सागर के कवि साहित्कार लक्ष्मी वर्मा का सम्मान केन्द्र के संचालक राहुल सिंह ने किया। इस मौके पर साहित्कार श्री दाऊ ने कहा कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की जि़म्मेदारी केवल सरकार की नहीं है। बल्कि इसके लिए हम सभी का सम्मिलित प्रयास आवश्यक है। बिना अपनी भाषा ज्ञान के पूर्ण अभिव्यक्ति नहीं हो सकती। अधिकाधिक कार्य हिन्दी में ही करना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान संस्कार मंच के संयोजक जितेन्द्र तिवारी, धर्मेन्द्र माहेश्वरी आदि ने वेट लिफ्टिर शिशिर शर्मा कृष्ण डेरी का सम्मान किया और कहाकि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य पूरे विश्व में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए अधिक प्रयास करना और इसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में विकसित करने के लिए हर स्तर पर कदम उठाया जाना है।

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