- आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया भगवान राम और कृष्ण का जन्मोत्सव, आज मनाया जाएगा नंद उत्सव की जाएगी गोवर्धन पूजन

सीहोर। व्यक्ति का चरित्र और विनम्रता शिक्षा से बढ़कर होती है, क्योंकि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति ही नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण, आत्म-अनुशासन और सहानुभूति का विकास भी है। सच्ची शिक्षा व्यक्ति की आंतरिक शक्तियों को जगाती है और उसे नैतिक रूप से सशक्त बनाती है, जिससे वह ईमानदारी और उद्देश्य के साथ नेतृत्व कर सके। उक्त विचार शहर के बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल धर्मशाला में अग्रवाल महिला मंडल के तत्वाधान में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के चौथे दिवस अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। उन्होंने कहाकि एक बार किसी ने स्वामी विवेकानंद से पूछा था कि शिक्षा कैसी होना चाहिए तो स्वामी जी ने कहाकि विनम्रता विद्या का प्रतिफल है, यही सुख का आधार है, जो व्यक्ति हमेशा सुखी रहना चाहते है, उसे विनम्र होना ही पड़ेगा। किसी की मदद करते समय प्रतिफल की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। अगर हम प्रतिफल की उम्मीद रखते हैं तो किसी की मदद ही न करें। मदद निस्वार्थ भाव से ही करनी चाहिए। जो लोग विनम्र रहते हैं, उन्हें घर-परिवार के साथ ही समाज में भी मान-सम्मान मिलता है। कथा के चौथे दिवस अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित श्री मिश्रा ने कहाकि राजा शिवि की अग्निदेव और इंद्रदेव की परीक्षा ली थी, जब उन्होंने कबूतर को बाज़ से बचाने के लिए अपने शरीर का मांस काटकर दे दिया था, राजा शिवि की दया, परोपकार और अपने वचन के प्रति निष्ठा को दर्शाती है। राजा शिवि ने बाज की भूख मिटाने के लिए अपने शरीर से कबूतर के वज़न के बराबर मांस काटकर उसे देने का प्रस्ताव रखा, उन्होंने ऐसा ही किया, और कबूतर के वज़न के बराबर मांस न होने पर उन्होंने अपने शरीर का अधिक मांस भी दे दिया। तब मेरे शिव ने कहाकि ऐसी कठिन परीक्षा कभी किसी की नहीं लेना। मनुष्य को दया और परोपकार का साथ नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि भगवान ऐसे मनुष्य की हमेशा मदद करते हैं। भगवान भोलेनाथ न्यायप्रिय है और कभी किसी को दुखी नहीं देख सकते। बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल धर्मशाला भवन में महिला मंडल के तत्वाधान में श्रीमद् भागवत कथा की रसधारा बह रही है। भक्तों की विशाल संख्या इस माहौल को धर्मामय बना रही है। शहर सहित आस-पास के श्रद्धालु हर रोज यहां पर कथा सुनने के लिए और भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के दर्शन करने के लिए आ रहे है। भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। जैसे ही वासुदेव भगवान कृष्ण को एक टोकरी में लेकर आए पूरे पांडाल में नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की से गूंज उठा सभी ने भगवान के जन्म पर एक दूसरे को बधाइयां दी ढोल नगाड़ों के साथ पुष्प वर्षा की ओर उसके बाद माखन मिश्री का वितरण किया गया।
भगवान हमेशा अंधकार को दूर करने के लिए आते
गुरुवार को कथा के चौथे दिन भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि भगवान हमेशा अंधकार को दूर करने के लिए आते है, जब भी अधर्म बढ़ता है। उस दौरान किसी भी रूप में अवतार लेते है, भगवान श्री कृष्ण का जन्म कथा करते हुए कहा कि जीव जब साधना करने बैठ जाता है तब संसार रूपी हथकड़ियां और पैरों की बेडिय़ां टूट जाती हैं और ईश्वर के प्रेम के दरवाजे खुल जाते हैं। भगवान कभी जन्म नहीं लेते अवतार धारण करते हैं, प्रगट होते हैं। उन्होंने देवकी-वासुदेव प्रसंग का मार्मिक वर्णन किया। भक्तों का उद्धार करने के लिए भगवान को जेल में प्रगट होना पड़ा। कथा के दौरान भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की जीवंत झांकी सजाकर जन्मोत्सव मनाया गया। जन्मोत्सव पर श्रोताओं ने जमकर नृत्य किया तथा मिठाई बांट कर खुशिंया मनाई व श्रीकृष्ण के जन्म पर बधाईयां व मिठाइयां आदि का भी वितरण किया। इस मौके पर उन्होंने भगवान श्री राम के जन्मोत्सव से लेकर भगवान की बाललीलाओं सहित अन्य का विस्तार से वर्णन किया।
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