
सीहोर। नौ दिनी शारदीय नवरात्र पर्व सोमवार से मनाया जाएगा। मंदिर में नौ दिन अखंड ज्योत जलेगी, हवन-पूजन और अनुष्ठानों के साथ बड़े पैमाने पर गरबा खेला जाएगा। माता मंदिर में नित नवीन श्रृंगार किया जाएगा। शहर के विश्रामघाट स्थित प्रसिद्ध मरीह माता मंदिर में इन दिनों नवरात्रि पर्व को लेकर तैयारियां पूर्ण हो गई है। मंदिर के व्यवस्थापक गोविन्द मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा, जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, उमेश दुबे सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर में पर्व को लेकर विचार-विमर्श किए। इस मौके पर व्यवस्थापक रोहित मेवाड़ा ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी नवरात्रि का पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। यहां पर सुबह हवन-पूजन के पश्चात आरती की जाएगी, इसके अलावा प्रतिदिन देवी का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। वहीं महाष्टमी को परम्परानुसार रात्रि बारह बजे महानिशा आरती और नवमीं पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा। भंडारे में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। जिला संस्कार मंच के मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा के भक्तों के लिए बहुत खास होता है। नवरात्रि के नौ दिन मां भवानी के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में शक्ति उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र सोमवार को कलश स्थापना के साथ होगा। इस दिन से घरों से लेकर पूजा पंडालों में दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ हो जाएगा।
भगवान गणेश की पूजा का विधान
उन्होंने कहा कि नवरात्रि के पहले दिन व्रती द्वारा व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस दिन लोग अपने सामर्थ अनुसार 2, 3 या पूरे 9 दिन का उपवास रखने का संकल्प लेते हैं। संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी में जौं बोया जाता है और इस वेदी को कलश पर स्थापित किया जाता है, हिन्दू धर्म में किसी भी मांगलिक काम से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है। अत: सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन करना चाहिए, इसलिए इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है। कलश को गंगाजल से साफ की गई जगह पर रख दें। इसके बाद देवी-देवताओं का आवाहन करें। कलश में सात तरह के अनाज, कुछ सिक्के और मिट्टी भी रखकर कलश को फूल और आम के पत्तों से सजा लें. इस कलश पर कुल देवी की तस्वीर स्थापित करें या नारियल रखें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें इस दौरान अखंड ज्योति अवश्य प्रज्वलित करें, अंत में देवी मां की आरती करें और प्रसाद को सभी लोगों में बांट दें। शारदीय नवरात्रि की शुरूआत होती है। उस दिन दिन कलश स्थापना करके मां दुर्गा की पूजा करते हैं। नवरात्रि के 9 दिनों तक कलश पूजा स्थान पर ही रहता है. दुर्गा विसर्जन के दिन कलश को हटाया जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा करते हैं।
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