
सीहोर। शिव पर आस्था दुविधा में रास्ता है। का अर्थ है कि जब आप भ्रम या संकट में हों और आपको रास्ता न सूझ रहा हो, तो भगवान शिव में विश्वास रखने से आपको समाधान मिल सकता है, क्योंकि शिव भक्तों के रास्ते कभी बंद नहीं होते. महादेव की पूजा और भक्ति सच्ची आस्था के साथ करने से मन को शांति मिलती है और जीवन में आने वाली कठिनाइयों से पार पाने का मार्ग प्रशस्त होता है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ कुबेरेश्वरधाम पर जारी पांच दिवसीय शिव महापुराण के विश्राम दिवस के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। रविवार को श्राद्ध पक्ष अमावस्या के पावन अवसर पर भव्य भंडारे का आयोजन किया गया था, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की। उन्होंने कहाकि गोस्वामी तुलसीदास ने भगवान शिव और माता पार्वती को विश्वास और श्रद्धा का प्रतीक बताया है। मनुष्य में जब तक श्रद्धा और विश्वास नहीं होगा तब तक उसे अपनी आत्मा में विराजमान परमात्मा भी दिखाई नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहाकि भगवान आस्था का प्रतीक है, भक्त धु्रव और पहलाद ने छोटी से अवस्था में भगवान के दर्शन कर लिए थे। उन्होंने कहाकि नारद ने भगवान नारायण से प्रश्न किया था आपने धु्रव को इतनी कम अवस्था में दर्शन दे दिए, जबकि वह सालों से आपकी अर्चना और नाम जप कर रहा हूं। भगवान की करुणा और आस्था ही आपको मंजिल तक पहुंचा सकती है। जो प्राणी अपने आपे को पूरी तरह से प्रभू के चरणों में समर्पित कर देता है उसका कोई भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
धाम पर आने वाले की मनोकामनाएं होती पूरी
इस मौके पर उन्होंने कहाकि एक परिवार ने धाम पर आकर मनोकामना की ओर वह पूरी हुई है। पंडित श्री मिश्रा ने पत्र पढ़ते हुए बताया कि रश्मि सैनी होली के पावन पर्व पर महादेव की होली के लिए आई थी, सैनी परिवार ने बच्चे की कामना की थी, उनका विश्वास पूर्ण हुआ और बाबा की कृपा से जुड़वा बच्चे हुए है। पंडित श्री मिश्रा ने बुलाकर उनको आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहाकि देश के किसी भी तीर्थ और मंदिर पर आप जाते है बहुत ही आसान है, लेकिन कुबेरेश्वरधाम पर वही आता है जिसको बाबा कुछ देने के लिए बुलाता है।
विठलेश सेवा समिति और धाम कर रहा सेवा के कार्य
इस मौके पर पंडित श्री मिश्रा ने कहाकि धाम पर निरंतर निशुल्क भंडारे का आयोजन किया जा रहा है, लाखों और हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को निरंतर भोजन प्रसादी प्रदान की जा रही है, इसके अलावा धाम से जरूरतमंदों को शिक्षा के लिए राशि और पौधा रोपण सहित अनेक कार्य किए जा रहे है। श्री विठ्ठलेश सेवा समिति और उनकी प्रेरणा से देश के अनेक प्रांतों में निर्माल्य रथ चला रही है। निर्माल्य रथ, धार्मिक आयोजन जैसे शिवमहापुराण कथा या अन्य धार्मिक उत्सवों के दौरान फूलों और देवी-देवताओं की मूर्तियों से निकले निर्माल्य (पुष्प, पत्र, आदि) को इक_ा करके एक विशेष रथ के माध्यम से उसका उचित निपटान करने या उसका पुन: उपयोग करने के लिए चलाया जाता है।
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