- सत्संग की कमाई कभी व्यर्थ नहीं जाएगी-अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा

सीहोर। समस्या कोई भी आए, किसी को नहीं बताना, सिर्फ शिव के मंदिर जाना, शिव को बेलपत्र, एक लोटा जल चढ़ाकर शिव को बताना और कहना हे भोलेनाथ, मेरे को यह समस्या आई है। समस्या कितनी भी विकट हो, इससे मुक्ति दिलाना। आपकी सारी समस्या का समाधान होगा। शिवकृपा आती है तब हमें जीवन का कोई न कोई सुख प्राप्त होता है। शिव की कृपा उदारता आप और हम पर हुई है। सत्संग की कमाई कभी व्यर्थ नहीं जाएगी। सत्संग की पूंजी कभी समाप्त नहीं होगी। अपने जीवन को आनंद से जियो न कि किसी की बुराई करके। कोई कितनी भी गालियां दे, मुंह पर कपड़ा रख चुपचाप निकल जाएं। गालियां देने वाले को कर्म फल मिलेगा। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ प्रसिद्ध कुबेरेश्वरधाम पर जारी आन लाइन पांच दिवसीय शिव महापुराण के दुसरे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। उन्होंने कहाकि आगामी दिनों में कुबेरेश्वरधाम पर आध्यात्मिक कॉरिडोर बनाया जाएगा। इसके लिए तैयारियां चल रही है, बताया कि कारिडोर में तुमुरुका शिव महापुराण के कथावाचक हैं, जिन्होंने चंचुला को यह कथा सुनाई थी, उनके बारे में जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहाकि व्यक्ति म़ृत्यु के समय भगवान नाम का उच्चारण करने मात्र से व्यक्ति जन्म मरण के चक्कर से मुक्त हो जाता है। अजामिल ने जीवन भर पाप कर्म किए, लेकिन मरते मरते उसने भगवान का नाम बोला, जिससे उसकी मुक्ति हो गई, इसलिए व्यक्ति को परमात्मा नाम का जप करते रहना चाहिए। ऐसे पापी व्यक्ति केवल भगवान के पवित्र नाम के जप मात्र से उनका ध्यान आकर्षित कर सकते हैं। मृत्यु के समय अजामिल ने असहाय होकर भगवान के पवित्र नाम का जाप किया। केवल उस जाप ने ही उसे समस्त पाप कर्मों से मुक्त कर दिया था। पंडित श्री मिश्रा ने कहाकि अजामिल धार्मिक था, क्षेत्र में एक वेश्या के फेरे में आकर उसने अपना जीवन बर्बाद कर लिया, लेकिन अंत समय में भगवान के नाम का स्मरण करने से उसके जीवन का कल्याण हो गया।
अहंकारी स्वयं को सर्वश्रेष्ठ और अपने कार्यों को उत्कृष्ट मानता
अहंकारी व्यक्ति स्वयं को सर्वज्ञ व सर्वगुणसंपन्न मानता है, अत: वह निरंतर सीखते रहने की प्रक्रिया से कट जाता है और वास्तव में अल्पज्ञ व अनुभवहीन बना रहता है। अहंकारी स्वयं को सर्वश्रेष्ठ और अपने कार्यों को उत्कृष्ट मानता है, इसलिए दूसरे लोगों के अनुभव से लाभ उठाने का प्रयास नहीं करता। अत: कभी-कभी नु$कसान में रहता है। अत: वह अपना सही मूल्यांकन कर अपनी उन कमियों को दूर करने का प्रयास नहीं कर सकता।
पितृपक्ष की प्रदोष आज
गुरुवार को आनलाइन कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहाकि शुक्रवार को पितृपक्ष की प्रदोष है इस मौके पर बेलपत्र, एक लोटा जल चढ़ाकर शिव से प्रार्थना करें, यही सबसे सरल तरीका है अपने पितृों के लिए आस्था का, भगवान पर विश्वास ही आपके मन को शांत कर सकता है। जब तक आपका विश्वास और भरोसा भगवान पर नहीं होगा, तब तक आपकी भक्ति कमजोर रहेगी।
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