वाराणसी : विश्वकर्मा जयंती : श्रम और सृजन का उत्सव, काशी में आस्था का उजास - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 17 सितंबर 2025

वाराणसी : विश्वकर्मा जयंती : श्रम और सृजन का उत्सव, काशी में आस्था का उजास

  • औजारों पर ओस की बूंदों सा आदर, घाटों पर गूंजी प्रार्थना, लाभार्थियों को टूलकिट व ऋण वितरण

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वाराणसी (सुरेश गांधी). गंगा तट की प्रातः बेला। धुंधलके में स्नान करते सूरज की किरणें जैसे काशी के कण-कण पर स्वर्ण-लेप कर रही हों। इसी दिव्य आभा के बीच बुधवार को भगवान विश्वकर्मा की जयंती ने शहर को एक अद्भुत उजास से भर दिया। देवताओं के शिल्पी, ब्रह्मांड के प्रथम वास्तुकार के इस दिवस ने काशी की गलियों से लेकर औद्योगिक परिसर तक को पूजा-गंध और मंगल-ध्वनि में रचा-बसा दिया।  शहरभर में भंडारे सजे, खीर-पूड़ी की मिठास, पंचमेवा की सुगंध और भजन की स्वर-लहरियां। बच्चों ने रंग-बिरंगे पताकाओं से मोहल्लों को सजा दिया। संध्या की गंगा आरती में जब सहस्त्र दीपकों की लौ ने जल पर स्वर्ण-जाल बिछाया, ऐसा लगा जैसे स्वयं विश्वकर्मा ने अपनी कलाकारी से रात को अलंकृत कर दिया हो। सबेरे से ही बढ़ई की दुकानों, लुहार की भट्ठियों, जुलाहों की करघों और मशीनों की धड़कनें एक लय में धड़क उठीं। औजारों को जैसे नया जीवन मिला हो, धुली-चमकी आरी, रंगोली से सजे हथौड़े, गंगाजल में स्नान कर चुकी मशीनें। हर कारीगर ने अपने औजारों को पुष्पमालाओं से अलंकृत कर आरती उतारी, मानो वे निर्जीव नहीं, सृजन के सजीव साथी हों। गंगा के घाटों पर नाविकों ने अपनी नावों को दीपों से सजाया। हवा में सरकती गंगा की नमी और शंखनाद का सामंजस्य अद्भुत था। काशी की संकरी गलियां फूलों की पंखुड़ियों से पटीं, हर मोड़ पर दीपक की लौ ने बता दिया कि यह केवल उत्सव नहीं, सृजन की पूजा है। पुराणों में वर्णित विश्वकर्मा की कथाकृस्वर्ग के प्रासाद, द्वारका की नगरी, लंका का स्वर्णमहलकृआज भी श्रम की पराकाष्ठा का प्रतीक है। आधुनिक अभियंता हों या पारंपरिक कारीगर, सभी के लिए यह दिन प्रेरणा बनकर आता हैः हर रचना में देवत्व छिपा है, हर परिश्रम में ईश्वर का स्पर्श है।


भक्ति और उल्लास का संगम

विश्वकर्मा जयंती केवल देवपूजन नहीं, बल्कि यह स्मरण है कि सभ्यता की नींव श्रम के पवित्र स्पर्श से रखी जाती है। औजारों के प्रति आदर, मेहनतकशों के प्रति सम्मान और सृजन के प्रति कृतज्ञता ही इस पर्व का सच्चा अर्थ है। काशी की रात जब दीपों से दमक रही थी, गंगा की लहरें जैसे कह रही थीं,“जहाँ श्रम है, वहीं सृजन है; जहाँ सृजन है, वहीं ईश्वर का वास है।”


लाभार्थियों को टूलकिट व ऋण वितरण

सर्किट हाउस सभागार में उपायुक्त उद्योग कार्यालय द्वारा आयोजित विश्वकर्मा जयंती कार्यक्रम में राज्यमंत्री रवीन्द्र जायसवाल, एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, विधायक सौरभ श्रीवास्तव व वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। भगवान विश्वकर्मा को माल्यार्पण के बाद विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के 19 लाभार्थियों को टूलकिट, ओडीओपी योजना के 2 लाभार्थियों को टूलकिट, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान में 3 को ऋण, यूनियन बैंक द्वारा 2 एमएसएमई ऋण वितरित हुए। अतिथियों ने स्वदेशी उत्पादों के उपयोग और टूलकिट के सदुपयोग पर बल दिया। लखनऊ में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी हुआ।

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