भारत में एसी से होने वाला उत्सर्जन अब कारों के उत्सर्जन के बराबर, 2035 तक दोगुना होने की संभावना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


सोमवार, 15 सितंबर 2025

भारत में एसी से होने वाला उत्सर्जन अब कारों के उत्सर्जन के बराबर, 2035 तक दोगुना होने की संभावना

ac-in-india-building
नई दिल्ली (रजनीश के झा)। नए सर्वेक्षण में पाया गया है कि 2030 तक ‘एयर कंडीशनर’ भारत का सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक उपकरण बन जाएगा, और 2035 तक कुल उत्सर्जन दोगुना से अधिक होकर 32.9 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य (सीओ2ई) हो जाएगा। दिल्ली आधारित थिंक टैंक ‘आईफॉरेस्ट’ द्वारा किए गए राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, अकेले 2024 में एसी से 15.6 करोड़ टन सीओ2ई उत्सर्जन हुआ, जो देश में सभी यात्री कारों से होने वाले उत्सर्जन के बराबर है। इसमें से 5.2 करोड़ टन सीओ2ई ‘रेफ्रिजरेंट लीक’ से उत्पन्न हुआ। रिपोर्ट में जलवायु पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों को कम करने के लिए उत्पादक दायित्व बढ़ाने, राष्ट्रीय ‘रेफ्रिजरेंट डेटाबेस’ बनाने तथा सख्त प्रवर्तन का सुझाव दिया गया है। आईफॉरेस्ट ने कहा कि इन कदमों से अगले दशक में ‘रेफ्रिजरेंट्स’ से होने वाले 50-65 करोड़ टन उत्सर्जन को रोका जा सकेगा, जिसका मूल्य 25-33 अरब अमेरिकी डॉलर के कार्बन क्रेडिट के बराबर होगा तथा उपभोक्ताओं को ‘रीफिलिंग’ लागत में 10 अरब अमेरिकी डॉलर की बचत होगी। आईफॉरेस्ट के अध्यक्ष और मुख्य कार्याधिकारी चंद्र भूषण ने कहा, ‘‘भारत में यदि एसी को हर दो साल में ‘रीफिल’ किया जाए तो यह एक यात्री कार जितना ही उत्सर्जन करता है... जलवायु के दृष्टिकोण से, एसी भी कार जितना ही हानिकारक है।’’ भारत में एसी का भंडारण 2024 के 6.2 करोड़ से बढ़कर 2035 में 2.4 करोड़ हो जाने का अनुमान है, और बिक्री 1.4 करोड़ से बढ़कर चार करोड़ होने का अनुमान है। शहरीकरण, बढ़ती आय और बढ़ते ताप तनाव के कारण, 2020 से बिक्री में सालाना 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, पुणे और जयपुर के 3,100 घरों में किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि 80 प्रतिशत एसी पांच साल से कम पुराने हैं, तथा नयी खरीद में जयपुर, कोलकाता और पुणे सबसे आगे हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 87 प्रतिशत घरों में एक ही एसी है, जबकि 13 प्रतिशत घरों में दो या उससे ज़्यादा एसी हैं। चेन्नई, जयपुर, कोलकाता और पुणे में एक से ज़्यादा एसी रखने वालों की संख्या ज़्यादा है, और यहाँ तक कि निम्न आय वर्ग के लोग भी अब एसी बाजार में प्रवेश कर रहे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: