- अडाणी के पावर प्लांट से बिहार सरकार को सालाना 5 हजार करोड़ रु. का होगा नुकसान
- चुनाव के तुरत पहले सहायता की घोषणा वोट के लिए घूस देने जैसा, एसआईआर के जरिए बिहार चुनाव में धांधली करने की साजिश
पूरी प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है. यहां तक कि जिनके नाम काटे गए, उनकी लिस्ट भी जारी नहीं कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट के कहने पर जारी करनी पड़ी. उसकी तहकीकात की गई तो जो मृत घोषित कर दिए गए थे उनमें बहुत से लोग जिंदा निकले, विस्थापित लोग अपने गांव में पाए गए और उसमें अधिकतर महिलाएं हैं. उसके अलावा इनके बीएलओ ने लिऽ दिया - रिकमन्डेड और नॉट रिकमन्डेड- अब ये किनके फार्म है, किस आधार पर रिकमन्डेड और नॉट रिकमन्डेड कर दिया गया, सब अंधेरे में है- अधिकांश लोगों के फार्म बीलएओ ने ही भर दिया था- ऊपर से अब लोगों को नोटिस दिया जा रहा है कि आपके दस्तावेज में दिक्कत है. लेकिन यह नहीं बताया जा रहा है कि दिक्कत क्या है? रिकमन्डेड और नॉट रिकमन्डेड की सूची जारी नहीं हुई. फार्म-6 के साथ दिऽाना होता है कि आप कहां रहते हैं, उसका कोई दस्तावेज देना होता है. दूसरा, उम्र का कोई दस्तावेज देना होता है. नागरिकता के लिए स्वंय घोषणा करनी पड़ती है. नागरिकता के लिए कोई दस्तावेज नहीं देना होता है. तो चुनाव आयोग किस आधार पर नागरिकता देऽेगा? उनका ही इंस्ट्रक्शन असम के मामले में कह रहा था कि चुनाव आयोग नागरिकता की जांच नहीं कर सकता. लेकिन यहां कुछ और ही कर रहे हैं. अब वे किसी भी नागरिकता को डाउटफुल बना सकते हैं. यानी चुनाव आयोग नागरिकता की ऑथोरिटी बनना चाहता है जो उसके ऽुद के नियमों के िऽलाफ है. अभी राहुल गांधी ने अपने प्रेस वार्ता में दिऽाया कि आपत्ति में नाम किसी और का है और जगह कहीं और का- इसलिए फार्म भरने, दावा-आपत्ति में पारदर्शिता होनी चाहिए- इतने कम समय में एसआइआर संभव नहीं था- यह चुनाव में धांधली के लिए है-
अडाणी ग्रुप को 1 रु- के भाव से एक हजार एकड़ 30 साल के लिए लीज पर जमीन दे दी गई- 6 रु- प्रति यूनिट की दर से 2500 मेगावाट ऽरीदने का कांट्रेक्ट कर लिया गया- इससे ज्यादा भ्रष्टाचार और नियमों का उल्लंघन कुछ हो ही नहीं सकता- पावर प्लांट तो बंजर जमीन पर भी लग सकता है- यहां पर 6 यूनिट कौन ऽरीदेगा? पूरा यकीन है कि सालाना 5000 करोड़ का नुकसान सरकार को होगा यदि 6 रु- में ऽरीदते हैं। बिहार में हर तरह का भ्रष्टाचार है- पुल टूट जाते हैं- सैकड़ो करोड़ की बनी सड़कें एक ही बारिश में टूट जाती हैं- एक भ्रष्टाचार यह भी है कि चुनाव के जस्ट पहले यह घोषणा कर देना कि महिलाओं को 10 हजार रु- देंगे- यह तो ब्राइबरी का केस हो गया है- चुनाव के पहले इसका परमिशन नहीं होना चाहिए- यह घूसऽोरी का मामला है- पूरे बिहार में भूमि अधिग्रहण में बहुत सारी दिक्कत हैं- किसानों को मुआवजा नहीं मिल रहा- कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है- यहां मार्केट वैल्यू 15 साल पुराना वाला दे रहे हैं- कायदे से सरकार को लैंड रिकॉर्ड कमीशन बनाना चाहिए- लैंड रेट्स कमीशन भी बनाने की जरूरत है ताकि हर एरिया का हर साल रेट तय हो ताकि सही मुआवजा मिले। संवाददाता सम्मेलन में आरा से सांसद सुदामा प्रसाद, एआइपीएफ के कमलेश शर्मा व आइलाज की मंजू शर्मा भी उपस्थित थे।

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