सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर आन लाइन शिव महापुराण में अर्धनारीश्वर स्वरूप की झांकी सजाई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 26 अक्टूबर 2025

सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर आन लाइन शिव महापुराण में अर्धनारीश्वर स्वरूप की झांकी सजाई

  • शिव महापुराण कथा मनुष्य के जीवन को सुलभ बनाती : अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा

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सीहोर। शिव महापुराण कथा मनुष्य के जीवन को सुलभ बनाती है। जन्म-जन्मांतर के पुण्य कार्य उदय होने पर ही संतों के श्रीमुख से प्रभु की महिमा सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। भक्ति में लीन होकर ईश्वर के नाम का गुणगान व प्रार्थना करने से ही जीवन को सफल बनाया जा सकता है। मानव तथा ईश्वर के बीच का अंतर समझाया। मानव प्रकृति के वश में रहता है, जबकि प्रकृति ईश्वर के वश में है। हमारा विश्वास शिव के प्रति होना चाहिए तभी हमारा कल्याण होता। शिव की कृपा भक्त के विश्वास पर है, जब भक्ति में विश्वास और आस्था आती है तभी जीव का कल्याण होता है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ आन लाइन शिव महापुराण के दूसरे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। कथा के दौरान कहाकि  जिंदगी में कई बार विपरित हालातों से भी सामना करना पड़ता है। तब हौसला नहीं खोना चाहिए। चित्त की शांति और चेहरे की मुस्कान ही हमारी असली ताकत होती है। जीवन के तमाम समस्याओं का हल सिर्फ एक लोटा जल है। भगवान शिव पर जल अर्पित करने से हमारे संकटों का हल मिलना शुरू हो जाता है। शिव भक्ति के लिए सादगी और विश्वास की आवश्यकता होती है। आगामी दिनों में धाम पर एक कमरे के निर्माण होने जा रहा है। उनमें कथा के दौरान आने वाले पत्रों को रखा जाएगा। यह पत्र उन श्रद्धालुओं के जिन्होंने एक लोटा जल हर समस्या का हल आदि के द्वारा भगवान शिव की भक्ति के द्वारा कष्टों का निवारण का उल्लेख है। इन पत्रों में लोगों की समस्याएं और सफलता की कहानियाँ होती हैं।


उन्होंने कहाकि आप किसी के 99 कार्य कर दो, लेकिन एक कार्य नहीं करोगे तो वह आपके 99 कार्य को नहीं देखेगा। वह तो यही देखेगा कि आपने एक कार्य नहीं किया। इसी प्रकार मनुष्य भगवान से अनेक प्रकार की प्रार्थना करता है, लेकिन भगवान भक्त की वहीं कामना पूरी करता है जो भक्त के लिए सुखदायक हो। इंसान और ईश्वर में यही अंतर है। रविवार को कथा के दूसरे दिन भगवान शिव के अर्धनारीश्वर का प्रसंग सुनाया। इसमें बताया कि शिव व शक्ति दोनों एक ही रूप है। अर्धनारीश्वर रूप में सृष्टि के निर्माण की कहानी छिपी है। कथा के दूसरे में अनेक पत्रों का वर्णन किया, इस मौके पर नागदा उज्जैन से आई एक महिला के पत्र का वर्णन किया। पत्र में महिला ने बताया कि नौ सालों से उनके यहां पर संतान नहीं थी,  लेकिन कथा का श्रवण करने के साथ शिव की कृपा और उनके विश्वास से उनके यहां पर संतान का जन्म हुआ है और वह कुबेरेश्वरधाम पर आशीर्वाद लेने आई है। इस तरह के हजारों की संख्या में धाम पर पत्र आते है, जिनमें श्रद्धालुओं के कष्टों का निवारण का उल्लेख रहता है। पंडित श्री मिश्रा ने कहाकि आगामी दिनों में धाम परिसर में एक कमरे का निर्माण होने जा रहा है। वह पूरी तरह कांच का होगा, इसमें कथा के दौरान आने वाले पत्रों को संग्राहित किया जाएगा, इस कमरे में रखे पत्र इतिहास में साक्षी रहेंगे कि जिन्होंने भगवान पर विश्वास कर अपने जीवन को सफल किया है। अनेक शिव भक्त ऐसे है जिनको भगवान के मार्ग में पहुंचने से नशे से मुक्ति मिली है। पंडित श्री मिश्रा ने कहाकि इन पत्रों के माध्यम से यह संदेश देते हैं कि शिव पर सच्चे मन से विश्वास करने से ही सभी समस्याओं का समाधान होता है।  कई पत्रों में भक्त बताते हैं कि भगवान शिव को श्रद्धापूर्वक एक लोटा जल चढ़ाने मात्र से उनके जीवन में बड़े बदलाव आए और कष्ट दूर हुए। कई लोगों ने बताया है कि व्रत करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं। एक पत्र में एक मां ने बताया कि इस व्रत के बाद उनके बेटे को सरकारी नौकरी मिल गई। सच्ची भक्ति ही फलदायी होती है। 


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