समस्तीपुर, 31 अक्टूबर (रजनीश के झा)। विकास का ढिंढोरा पीटने वाली 20 वर्षों की नीतीश सरकार ने नये कल-कारखाने लगाना तो दूर एक समय हजारों परिवारों के चूल्हे का सहारा बना अंग्रेज जमाने 1920 का स्थापित बंद पड़े समस्तीपुर चीनी एवं पेपर मिल की सुधी तक नहीं ली जबकि चुनाव घोषणा में बंद पड़े मिलों को चालू करने का घोषणा जोर-शोर से किया जाता रहा है। उक्त बातें चीनी मिल चौक एवं आसपास के क्षेत्रों में महागठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में चलाये जा रहे जनसंपर्क अभियान के दौरान मतदाताओं को संबोधित करते हुए भाकपा माले जिला स्थाई समिति सदस्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा। उन्होंने कहा कि जब हमारी जनसंख्या कम थी, उस समय चीनी मिल, पेपर मिल समेत अन्य कल-कारखाने जिले के हजारों परिवारों को रोजगार का साधन था। लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध था लेकिन सरकार की दूरदर्शी नीति के अभाव में कल-कारखाने के बंद होने से यहां से मजदूर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हैदराबाद की ओर रूख करने लगे।
शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025
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समस्तीपुर : 20 वर्षों की सरकार ने बंद पड़े समस्तीपुर चीनी एवं पेपर मिलों की सुधी तक नहीं ली : सुरेंद्र सिंह
समस्तीपुर : 20 वर्षों की सरकार ने बंद पड़े समस्तीपुर चीनी एवं पेपर मिलों की सुधी तक नहीं ली : सुरेंद्र सिंह
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