दिल्ली : उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई 31 अक्टूबर तक स्थगित - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 27 अक्टूबर 2025

दिल्ली : उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई 31 अक्टूबर तक स्थगित

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नई दिल्ली (रजनीश के झा)। उच्चतम न्यायालय ने फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों की कथित साजिश को लेकर गैर-कानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में कार्यकर्ताओं उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू द्वारा समय मांगे जाने के बाद मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। राजू ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा, लेकिन शीर्ष अदालत ने कहा कि वह शुक्रवार को मामले की सुनवाई करेगी। पीठ ने कहा, "सच कहें तो, जमानत के मामलों में जवाब दाखिल करने का सवाल ही नहीं उठता।" शीर्ष अदालत ने 22 सितंबर को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। कार्यकर्ताओं ने दो सितंबर को पारित दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। उच्च न्यायालय ने खालिद और इमाम समेत नौ लोगों को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि विरोध प्रदर्शनों की आड़ में "षड्यंत्रकारी" तरीके से हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती। खालिद और इमाम के अलावा, जिन लोगों की ज़मानत खारिज की गई थी उनमें फातिमा, हैदर, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, अब्दुल खालिद सैफी और शादाब अहमद शामिल हैं। एक अन्य आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका दो सितंबर को उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने खारिज कर दी थी।


खालिद, इमाम की जमानत याचिकाओं पर जवाब दायर करने के लिए पुलिस को समय देने से न्यायालय का इनकार

उच्चतम न्यायालय ने फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों की कथित साजिश के सिलसिले में यूएपीए के तहत दर्ज मामले में कार्यकर्ताओं उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर की जमानत याचिकाओं पर जवाब दायर करने के लिए दिल्ली पुलिस को समय देने से सोमवार को इनकार कर दिया। सुनवाई शुरू होते ही दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने दो सप्ताह का समय देने से इनकार कर दिया और कहा कि वह 31 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करेगी। पीठ ने कहा, “हम आपको पर्याप्त समय दे चुके हैं। पिछली बार नोटिस जारी करते समय हमने कहा था कि हम इस मामले की सुनवाई 27 अक्टूबर को करेंगे और इसका निपटारा करेंगे।” पीठ ने कहा, “सच कहें तो, जमानत के मामलों में जवाब दाखिल करने का सवाल ही नहीं उठता।” खालिद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि याचिकाकर्ता पांच साल से अधिक समय से जेल में हैं। एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि पूरा मामला मुकदमे में देरी का है और सुनवाई में और देरी नहीं होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने 22 सितंबर को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। कार्यकर्ताओं ने दो सितंबर को पारित दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। उच्च न्यायालय ने खालिद और इमाम समेत नौ लोगों को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि विरोध प्रदर्शनों की आड़ में "षड्यंत्रकारी" तरीके से हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती। खालिद और इमाम के अलावा, जिन लोगों की ज़मानत खारिज की गई थी उनमें फातिमा, हैदर, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, अब्दुल खालिद सैफी और शादाब अहमद शामिल हैं। एक अन्य आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका दो सितंबर को उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने खारिज कर दी थी। खालिद, इमाम और बाकी आरोपियों पर फरवरी 2020 के दंगों के कथित "मास्टरमाइंड" होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और तत्कालीन भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से ज़्यादा घायल हुए थे। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के विरोध में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। आरोपियों ने अपने खिलाफ सभी आरोपों से इनकार किया है। यह लोग 2020 से जेल में हैं और एक निचली अदालत द्वारा उनकी ज़मानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया था।

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