सीहोर : अन्नकूट महोत्सव में उमड़ा आस्था सैलाब, पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 2 नवंबर 2025

सीहोर : अन्नकूट महोत्सव में उमड़ा आस्था सैलाब, पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की

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सीहोर। शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित श्री माधव महाकाल सेवा समिति के तत्वाधान में रविवार को आस्था और उत्साह के साथ भव्य अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया। इस मौके पर लगातार आठ घंटे तक चले इस महोत्सव में करीब पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की। वहीं यहां पर पूर्ण विधि-विधान से   राष्ट्रीय संत कथा व्यास पंडित मोहितराम पाठक के सानिध्य में 56 भोग लगाया। रविवार की सुबह यहां पर निर्माण केदारनाथ मंदिर परिसर में 56 भोग सजाए गए थे और आरती के पश्चात भोजन प्रसादी की गई। इस मौके पर समिति के पदाधिकारियों ने यहां पर आने वाले समस्त श्रद्धालुओं का सम्मान किया। इस मौके पर पंडित श्री पाठक ने कहाकि गौ माता की पूजा और अन्नकूट का संबंध गोवर्धन पूजा से है, जिसमें प्रकृति और गायों के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। गाय को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, जो समृद्धि और स्वास्थ्य प्रदान करती हैं। अन्नकूट, जिसमें विविध प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं, प्रकृति का आभार व्यक्त करने और अन्न की कमी न होने के लिए मनाया जाता है। प्रकृति के प्रति आभार, अन्नकूट का पर्व प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है, क्योंकि यह प्रकृति की पूजा है। अन्न की कमी से बचाव- इस पर्व को मनाने से यह मान्यता है कि परिवार को कभी भी अन्न की कमी का सामना नहीं करना पड़ता। सामूहिक भावना: इस दिन सामूहिक रसोई में भोजन बनाया जाता है और पूरा परिवार साथ मिलकर भोजन करता है। विभिन्न प्रकार के व्यंजन: इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि हर साल श्री माधव महाकाल सेवा समिति के द्वारा उक्त आयोजन किया जाता है। संस्कार मंच के संयोजक जितेन्द्र तिवारी ने बताया कि श्री माधव महाकाल सेवा समिति के तत्वाधान में रविवार को आयोजित अन्नकूट महोत्सव में संत दुर्गाप्रसाद कटारे, पंडित नरेश तिवारी सहित आधा दर्जन से अधिक पंडितों और संतों का समिति ने सम्मान किया, उन्होंने बताया कि आश्रम परिवार के द्वारा करीब पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं को हलुआ, पूडी, नुक्ति, सब्जी सहित भोजन प्रसादी दी गई। इसके अलावा यहां पर 56 भोग का वितरण किया गया। 

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