उन्होंने बताया कि प्रशासन ने कार्यालय में नकदी होने के संदेह में छापेमारी की, जबकि वहां केवल ₹2,00,000 नकद पाया गया, जो मतदाताओं से 10-10 रु. सहयोग राशि के रूप में एकत्रित किया गया था. इसकी स्पष्ट जानकारी देने के बावजूद प्रशासन ने कमरे को सील कर दी और फिर राशि जब्त कर ली. कुणाल ने सवाल उठाया कि भाजपा और जदयू के प्रत्याशियों द्वारा खुलेआम धनबल और प्रचार–खर्च की होड़ के बावजूद उन पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? उन्होंने कहा कि पूरे पटना और आसपास के क्षेत्रों में बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए गए हैं, मतदाताओं को प्रभावित करने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन मौन है. उन्होंने आयोग से पूछा कि क्या कार्रवाई केवल महागठबंधन प्रत्याशियों के लिए आरक्षित है? कुणाल ने चेतावनी दी कि इस तरह की कार्रवाई से आयोग की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. अंत में कहा कि पिछली बार सुनील कुमार चार सौ से कुछ अधिक वोटों की हेराफेरी से चुनाव जीते थे, लेकिन इस बार जनता पूरी तरह सजग है हर वोट का हिसाब लिया जाएगा और भोरे विधानसभा में इस बार महागठबंधन रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज करेगा. माले ने माँग की है कि इस प्रकार की पक्षपातपूर्ण प्रशासनिक कार्रवाइयों पर तुरंत रोक लगाई जाए, और सभी दलों को निष्पक्ष प्रचार व मतदान का समान अवसर सुनिश्चित किया जाए.
पटना, 5 नवम्बर (रजनीश के झा)। माले के राज्य सचिव कुणाल ने आरोप लगाया है कि कल शाम भोरे विधानसभा क्षेत्र में जनता दल (यूनाइटेड) के प्रत्याशी एवं बिहार सरकार के मंत्री तथा पूर्व प्रशासनिक पदाधिकारी सुनील कुमार के इशारे पर प्रशासन द्वारा हमारे चुनाव कार्यालयों पर छापेमारी की गई और प्रचार अभियान को बाधित करने की पूरी कोशिश की गई. कुणाल ने कहा कि अपनी आसन्न हार को भांपते हुए सुनील कुमार प्रशासन का खुला दुरुपयोग कर रहे हैं. इससे पहले भी इसी क्षेत्र में हमारे समर्थक नेताओं को लगातार निशाना बनाया गया — पहले जितेन्द्र पासवान की गिरफ्तारी और अब कार्यालय पर छापे मारी हो रही है.

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