सीहोर : शिव शक्ति सांस्कृतिक मंडल का आयोजन सिंधी कॉलोनी मैदान पर जारी है श्रीमद भागवत कथा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 15 दिसंबर 2025

सीहोर : शिव शक्ति सांस्कृतिक मंडल का आयोजन सिंधी कॉलोनी मैदान पर जारी है श्रीमद भागवत कथा

  • हिन्दू है अहिंसा सर्वोपरी है किंतू अपने धर्म पर बात आए और शस्त्र उठाने पड़े तो हिंसा सही है : प्रज्ञा विष्णू प्रिया

Bhagwat-katha-sehore
सीहोर। भक्ति के दो बेटे है ज्ञान और वैराग्य यह दोनों जिस के पास होते है वह भक्त हो जाता है। भक्त की फिर मृत्यु नहीं होती है वस्त्र की तरह बस भक्त को शरीर छोडऩा होता है। भक्त की मृत्यु का समय समीम आने पर वह सत्य को जानते हुए ठाकुर जी के प्रेम में भजन गाने लगता है कीर्तन करने लगता है वह तो पहले ही मुक्त हो जाता है शरीर की मृत्यु बाद में होती है। बेटी बड़ी होते है तो ससूराल भेजा जाता है उसी प्रकार ठाकुरजी अपनी बेटी रूपी आत्मा को ससूराल रूपी पृथ्वी पर भेजते है और समय आने पर वापस बुला लेते है। उक्त उद्गार सोमवार को सिंधी कॉलोनी मैदान पर शिव शक्ति सांस्कृतिक मंडल के द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा के दौरान श्रद्धालुओं के समक्ष सुश्री प्रज्ञा विष्णु प्रिया ने प्रगट किए। शिव शक्ति सांस्कृतिक मंडल अध्यक्ष मनोज शर्मा महिला मंडल अध्यक्ष प्रीति सोनी ने विश्व कल्याण की कामना के साथ भागवत जी और देवी देवताओं का पूजन किया। तत्पश्चात कथा सुनाते हुए सुश्री प्रज्ञा विष्णु प्रिया ने कहा कि हिंसा करनी पड़े तब वह हिंसा पाप नहीं कहती है हिंसा भी धर्म है अपने धर्म पर बात आए तो शस्त्र उठाने पड़े तो कोई गलत बात नहीं। हमारे ठाकुर जी के बारे में कोई गलत बोले तब क्रोध आए तो हिंसा कोई गलत बात नहीं हमारे शिव बाबा के बारे में कोई गलत बोले तो हिंसा कोई गलत बात नहीं है। भक्ति का दक्षिण में जन्म हुआ कई प्रदेशों में बड़ी हुई लेकिन गुजरात में आकर के मृत हो गई। जैसे ही भक्ति वृंदावन में आई सुंदर बेटी बन गई और फिर से जवान हो गई। भक्ति के दोनों पुत्र ज्ञान और वैराग्य अभी छोटे हैं इनमें शक्ति नहीं है नारद जी कहते हैं यह कैसे हुआ भक्ति ने बताया कि गुजरात में उसे समय बिल्कुल भक्ति नहीं थी उसके बाद में भक्त नरसी मेहता जी का जन्म हुआ उन्होंने फिर से गुजरात में भक्ति को जागृत किया फिर गुजरात में संत और भक्त हुए।


उन्होने श्रीमद भागवत कथा प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कलयुग आ चुका है कलयुग में एक गुण है कलयुग के पास एक वरदान है कि जो व्यक्ति कलयुग में भगवान का नाम जप करेगा नाम से मोक्ष प्राप्त कर लेगा। कलयुग में भगवान की कथा है कीर्तन है सब भजन कर खूब आनंदित होते है। हम स्वर्ग को ज्यादा अच्छा समझते, आप कहां जाना चाहते मृत्यु के बाद पहले जवाब सबका स्वर्ग ही होता है लेकिन भगवान और भक्ति केवल पृथ्वी पर ही प्राप्त की जा सकती है। भागवत कथा पूरवजों को भी तार देती है। उन्होने कहा कि राजा परीक्षित को मृत्यु का श्राप था उनका उद्धार भागवत कथा ने हीं किया। यह शरीर ठाकुर जी का है शरीर से ठाकुर जी की पहले सेवा करें आज व्यक्ति इसी शरीर के भोग में कई प्रकार के पाप कर रहे हैं लेकिन सेवा नहीं कर रहे जबकी ठाकुर जी ने व्यक्ति को नेत्र प्रदान किए है जिस से भगवान का सुंदर दर्शन कर सके किंतू व्यक्ति दर्शन तो कम कर रहा है लेकिन बाकी सारी गलत चीजों को ज्यादा देख रहा है। हाथ ठाकुर जी ने दिए थे सेवा के लिए उसी हाथ से गलत किया जा रहा है। ठाकुर जी ने भजन सूनने के लिए कान दिए लेकिन कानों से व्यक्ति निंदा चुगली सुन रहा है। सुश्री प्रज्ञा विष्णु प्रिया ने कहा कि धन कमाओ पर अच्छे कार्य करके कमाओ गलत कार्य कभी नहीं करना गलत प्रकार से धन कमाया है तो वह नष्ट होगा ही। जो लोग जुआ खेलते उनका परिवार परेशान होता है। जो पराई स्त्री पर दृष्टि रखता है पराई स्त्री पर जो बुरी दृष्टि डालता है उसमें भी कलयुगक वास है और जो स्त्री परपुरुष पर बुरी नजर डलती है उस पर भी कलयुग का वास होता है इसीलिए हम हर बार कहते हैं अपने से बड़े जो भी है सब को पिता मानो सब को माता मानो आपके बराबर के है सबको भाई बहन मानो। उन्होने कहा कि हिंसा आजकल सब कर रहे छोटी-छोटी बात पर कोधित हो जाते हैं जाने क्या-क्या लेकर आ जाते है नारने को ऐसी हिंसा से बचो हिंसा नहीं करनी चाहिए। 

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