- जिस दौलत से अहम झलके, उसे फौरन त्याग दो : संत गोविन्द जाने
कथा के दूसरे दिन उन्होंने कहाकि घर में धर्म को धारण करने का माध्यम है धर्म पत्नी जिसके धार्मिक कार्य के कारण विनाश नहीं होता है। हमारी वाणी में विनय होना चाहिए। लोग छोटी-छोटी बातों को भी बड़ा कर लेते हैं। कई वर्षों तक उसको अपने जहन में छुपाए रखते हैं, पर क्या आपको पता है कि दूसरा जन्म में भी मनुष्य का ही होगा। हम जो यहां पर व्यवहार करेंगे, उसका प्रभाव हमारी पीढ़ियों पर पड़ता है। इसलिए हमेशा द्वेष भाव छोड़कर दुश्मनों को भी मित्र बनाने की क्षमता होनी चाहिए। वैष्णव जन वह होता है जो खाने से पहले विचार करता है। विचार करता है कि गो माता को भोजन के लिए क्या खिलाया जाए। विचार करता है कि मेरी थाली में अच्छा भोजन है, परंतु कई घरों में गरीब के बच्चे रूखी-सूखी या आधी खाकर ही दिन निकाल रहे हैं। जब हमारे मन में करुणा भाव से किसी दूसरे व्यक्तित्व को खाने के बारे में सोचते हैं, तो हमारे अंदर से विष्णु जागृत होता है हमारी कथा सुनने का मार्ग सिद्ध हो जाता है और जीवन सार्थक होता है। आयोजन समिति ने बताया कि भागवत कथा आगामी 30 दिसंबर तक शहर के सिंधी कालोनी स्थित मैदान में दोपहर बारह बजे से तीन बजे तक जारी रहेगी। समिति ने सभी क्षेत्रवासियों से कथा का श्रवण करने की अपील की।

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