वहीं, शो के बारे में जानकारी देते हुए बुंदेलखंड 24x7 के चैनल हेड, आसिफ पटेल ने कहा, "बुंदेली शेफ जैसे सफल शो के बाद अब बुंदेली बावरा के माध्यम से हम बुंदेलखंड की संगीत परंपरा को आगे बढ़ाने जा रहे हैं। लोकगीतों में हमारे इतिहास, संघर्ष और प्रेम की कहानियाँ छिपी हैं। हमारा प्रयास है कि इन सुरों को सम्मान मिले और लोक कलाकारों को वह मंच मिले, जिसके वे सच्चे हकदार हैं। बड़ी संख्या में हुए रजिस्ट्रेशन्स इस बात का उदाहरण हैं कि लोकगीत आज भी लोगों की रगों में बसते हैं। यह मंच बुंदेली कलाकारों को पहचान देकर पूरे देश तक बुंदेली आवाज़ पहुँचाएगा।" 'बुंदेली बावरा' का उद्देश्य स्पष्ट है- बुंदेलखंड के गाँव-गाँव, कस्बे-कस्बे में छिपे उन सुरों को सामने लाना, जिन्हें मंच और पहचान की जरूरत है। यही वजह रही कि इसके पहले चरण में जब ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू किए गए, तो बुंदेलखंड ही नहीं, बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। इस दौरान 500 से अधिक वीडियो एंट्रीज़ प्राप्त हुईं, जिनमें लोकगीतों की सादगी, दर्द, प्रेम और मिट्टी की खुशबू साफ झलकती नजर आई। अब यह प्रतियोगिता ज़मीनी स्तर पर पहुँच रही है। चयनित प्रतिभागियों के लिए ऑडिशन राउंड आयोजित किए जा रहे हैं, जो पूरे बुंदेलखंड को जोड़ते हुए अलग-अलग जिलों में होंगे। ऑडिशन की जानकारी इस प्रकार है:
11 दिसंबर, 2025 को झाँसी में ऑडिशन हुए, जिनमें झाँसी समेत दतिया और निवारी के कलाकार शामिल रहे।
12 दिसंबर, 2025 को हमीरपुर में ऑडिशन हुए, जिसमें महोबा, बाँदा और जालौन के प्रतिभागियों ने अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा।
13 दिसंबर, 2025 को छतरपुर में ऑडिशन हैं, जहाँ चित्रकूट से आए लोकगायक भी अपनी प्रस्तुति देंगे।
15 दिसंबर, 2025 को पन्ना में ऑडिशन राउंड रखा गया है।
17 दिसंबर, 2025 को टीकमगढ़ में ऑडिशन होंगे, जिनमें ललितपुर के कलाकार भी शामिल होंगे।
18 दिसंबर, 2025 को सागर में अंतिम ऑडिशन आयोजित किया जाएगा, जिसमें दमोह के प्रतिभागी भी अपनी प्रतिभा प्रस्तुत करेंगे।
हर क्षेत्र से चुने गए सर्वश्रेष्ठ और प्रभावशाली लोकगीत वीडियो और प्रस्तुतियों का चयन आगे क्वार्टर फाइनल, सेमीफाइनल और ग्रैंड फिनाले के लिए किया जाएगा। हर चरण में कलाकारों के सुर, भाव, बुंदेली शब्दों की पकड़ और लोकपरंपरा से जुड़ेपन को विशेष महत्व दिया जाएगा। पृथक बुंदेलखंड की अलख जगाए बुंदेलखंड 24x7 पिछले कई वर्षों से सिर्फ एक डिजिटल चैनल नहीं, बल्कि बुंदेलखंड की बुलंद आवाज़ बनकर लगातार उभर रहा है। सामाजिक सरोकारों से लेकर सांस्कृतिक अभियानों, जनआंदोलनों और पृथक राज्य की मुहिम तक, चैनल ने हमेशा ज़मीनी मुद्दों को प्राथमिकता दी है। 'बुंदेली बावरा' उसी सोच का अगला कदम है, जहाँ लोक कलाकारों को सम्मान, मंच और भविष्य मिल सके। कुल मिलाकर, यह कहा जा सकता है कि 'बुंदेली बावरा' सिर्फ सुरों की प्रतियोगिता नहीं होगी, बल्कि यह बुंदेलखंड की आत्मा, उसकी संस्कृति और उसकी पहचान का उत्सव बनेगा। आने वाले दिनों में जब लोकगीतों की गूँज मंच से उठेगी, तो पूरा बुंदेलखंड गर्व से कहेगा- हाँ, ये बुलंद आवाज़ें बुंदेलखंड की हैं..

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