पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले के आदमपुर गाँव में जन्मे कुंवर पाल मलिक, जिन्हें पत्रकारिता जगत में के.पी. मलिक के नाम से जाना जाता है, ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद दिल्ली को कर्मभूमि बनाया। गांव के संस्कारों और किसान परिवार की सादगी से निकला यह युवा धीरे-धीरे देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों का जाना-माना नाम बन गया। मलिक के लेखों और रिपोर्ट्स में किसानों, गरीबों, मजदूरों और वंचितों की समस्याएँ लगातार प्रमुख स्थान पाती रही हैं, जिसके चलते उन्हें जनपक्षधर पत्रकार माना जाता है। अपने बेबाक़ लेखन और निर्भीक रिपोर्टिंग के कारण के.पी. मलिक न केवल दिल्ली की पत्रकारिता दुनिया में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक सशक्त और सम्मानित आवाज़ बन चुके हैं। संसद की रिपोर्टिंग में उनका लंबा अनुभव है और वर्ष 2001 में हुए संसद हमले की कवरेज के दौरान वह चश्मदीद गवाह भी रहे। मीडिया के अधिकारों और पत्रकारों की सुरक्षा के मुद्दों पर भी वह हमेशा अग्रसर रहते हैं।
कैरियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने दूरदर्शन, बीबीसी टीवी, जी न्यूज, सहारा समय और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम किया। बाद में दैनिक भास्कर से जुड़कर उन्होंने राजनीतिक संपादक के रूप में अपनी पहचान को और अधिक मजबूत किया। पिछले वर्ष उन्हें “अटल रत्न लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड” और “मुंशी प्रेमचंद सम्मान” से भी नवाज़ा गया था। पत्रकारिता के साथ-साथ मलिक समाजसेवा में भी सक्रिय रहते हैं। अपने व्यस्त समय के बावजूद वह अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और अक्सर गाँव जाकर खेती-किसानी और ग्रामीण समस्याओं को समझते हैं। उनके लेखों में यह जुड़ाव साफ झलकता है। दिल्ली में रहते हुए भी उनकी पहचान एक जमीन से जुड़े, सरल और सच्चे पत्रकार की है, जिनकी प्रतिबद्धता युवा पत्रकारों के लिए प्रेरणा बन चुकी है। “भारत गौरव अवार्ड-2025” से सम्मानित होना के.पी. मलिक के लंबे और समर्पित पत्रकारिता सफर की स्वाभाविक उपलब्धि मानी जा रही है, जिसने देशभर में उनकी प्रतिष्ठा को और अधिक मज़बूत किया है।

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