दीपों से सजा बाबा का आंगन
सांध्य बेला में धाम परिसर दीपों व आकर्षक विद्युत झालरों से जगमगा उठा। कहीं ॐ तो कहीं त्रिशूल के आकार में सजे रंगोलियों ने आध्यात्मिक आकाश रच दिया। दीपदान में श्रद्धालुओं के साथ-साथ मंदिर के कर्मचारियों ने भी सहभागिता निभाई। यह दृश्य काशी की आत्मा को प्रकाशित करता प्रतीत हुआ।
शिव गणों के साथ निकली शोभायात्रा, सड़कों पर उतरा पुराण
चतुर्थ वर्षगांठ के अवसर पर मैदागिन से गोदौलिया तक भव्य शिव शोभायात्रा निकाली गई। अघोरी साधु, भूत-पिशाच और शिव गणों के स्वरूप में सजे कलाकारों ने शिवलोक का सजीव चित्र प्रस्तुत किया। मां काली के स्वरूप में कलाकारों का अग्नि प्रदर्शन, डमरू-शंखनाद और तांडव ने जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया। शोभायात्रा में नारी शक्ति वंदन, अयोध्या राम मंदिर, रोपवे परियोजना और भारतीय महिला क्रिकेट टीम की उपलब्धि पर आधारित झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं। यह यात्रा शिवबारात की परंपरा में आधुनिक भारत की उपलब्धियों का उत्सव भी बन गई।
संस्कृति, साधना और समर्पण का संगम
त्र्यंबकेश्वर हाल में आयोजित संगोष्ठी में विद्वानों ने काशी विश्वनाथ धाम को सनातन संस्कृति का वैश्विक केंद्र बताया। शंख-वादन, वैदिक घोष और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने उत्सव को बहुआयामी बना दिया। धाम के मुख्य द्वार पर शोभायात्रा के पहुंचते ही आरती और पुष्पवर्षा से स्वागत किया गया। दशाश्वमेध स्थित चित्तरंजन पार्क में यात्रा का समापन हुआ।
आस्था से अर्थव्यवस्था तक, धाम बना शक्ति-केंद्र
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना से साकार हुआ श्री काशी विश्वनाथ धाम आज न केवल आध्यात्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक चेतना का केंद्र बन चुका है। बीते चार वर्षों में करोड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने काशी को वैश्विक पहचान दिलाई है।

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