आरोप है कि इन खबरों से बौखलाकर संबंधित कोल कारोबार से जुड़े लोगों ने संजय पांडेय, विकास तिवारी और अनुराग तिवारी जैसे व्यक्तियों को गोस्वामी परिवार को डराने-धमकाने और नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाया। आवेदन के अनुसार ये लोग आए दिन सोशल मीडिया और प्रत्यक्ष रूप से गोस्वामी परिवार को धमकी देते हैं, उनके घर के सामने आकर गाली-गलौज करते हैं और झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देते हैं। इससे पत्रकार दंपती भय और असुरक्षा के माहौल में जीने को मजबूर हैं। पत्र में उल्लेख किया गया है कि मस्तुरी थाने में पहले से ही दो अलग-अलग मामलों में अपराध क्रमांक 415/2025 और 548/2025 दर्ज हैं, लेकिन समय पर प्रभावी कार्रवाई न होने से आरोपियों के हौसले और बढ़ गए हैं। दिवाली के आसपास 17 से 19 अक्टूबर 2025 के बीच खुलेआम गाली-गलौज और पत्रकारों की हत्या के संदर्भ देकर धमकाने जैसी घटनाओं का भी जिक्र किया गया है। आरोप है कि आरोपियों के पास अवैध हथियार होने की भी आशंका है और हत्या की साजिश रची जा सकती है।
आवेदन में यह भी कहा गया है कि संजय पांडेय और उसके गिरोह के खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें कई गंभीर और अजमानतीय अपराध शामिल हैं। इसके बावजूद पुलिस द्वारा हल्की धाराएं लगाए जाने और सख्त कदम न उठाने से पीड़ित परिवार की सुरक्षा पर खतरा बना हुआ है। गोस्वामी परिवार का आरोप है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो उनकी जान को गंभीर खतरा है। पत्रकार संघ की ओर से दिए गए इस आवेदन में मांग की गई है कि मामले के विवेचक उप निरीक्षक शिव चंद्रा और अनुविभागीय अधिकारी लालचंद मोहले को तत्काल जांच से हटाया जाए तथा निष्पक्ष और सख्त विवेचना सुनिश्चित की जाए। साथ ही आरोपियों के खिलाफ हत्या की साजिश, जानलेवा धमकी और अवैध हथियार रखने जैसे गंभीर अपराधों में अलग से प्राथमिकी दर्ज कर तत्काल गिरफ्तारी के निर्देश दिए जाएं। मामले की प्रतिलिपि गृह मंत्री, पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को भी भेजी गई है। यह प्रकरण न केवल एक पत्रकार परिवार की सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि स्वतंत्र पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि पुलिस प्रशासन इस गंभीर मामले में कितनी तत्परता और निष्पक्षता से कार्रवाई करता है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें