- कश्मीर की शॉल से लेकर स्वदेशी स्वेटर तक की जमकर हो रही खरीदारी
- 10 दिवसीय इस प्रदर्शनी के तीसरे दिन तक कुल बिक्री 71 लाख के पार
प्रदर्शनी में आज जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य ने लगभग सभी स्टॉलों का निरीक्षण किया और प्रदर्शकों से संवाद कर उनके अनुभव जाने। उन्होंने ग्रामीण कारीगरों और उद्यमियों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी प्रदर्शनियां ग्रामीण भारत के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव रखती हैं। इस प्रदर्शनी में कुल 125 स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें 22 खादी स्टॉल और 103 ग्रामोद्योग स्टॉल शामिल हैं। शहद, मसाले, मिट्टी और लकड़ी से बने हस्तशिल्प उत्पाद खास तौर पर लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। इन उत्पादों में जहां परंपरा और शुद्धता की झलक है, वहीं आत्मनिर्भर भारत की सोच भी साफ दिखाई देती है। खास बात यह है कि उपभोक्ताओं को खादी वस्त्रों पर 30 प्रतिशत तक की छूट का लाभ मिल रहा है, जिससे मध्यम वर्ग और युवा खरीदारों की भागीदारी और बढ़ी है। ठंड के मौसम में सस्ती, टिकाऊ और गुणवत्तापूर्ण गर्म वस्त्रों की यह उपलब्धता लोगों को खादी की ओर स्वाभाविक रूप से खींच रही है। कुल मिलाकर, यह प्रदर्शनी सिर्फ बिक्री का मंच नहीं, बल्कि ग्रामीण कारीगरों की मेहनत, स्वदेशी सोच और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का जीवंत उदाहरण बनकर उभरी है। ठंड की तपिश में खादी की गर्माहट, आज सिर्फ शरीर ही नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना रही है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें