- चुनावी बहुमत लेने के बाद आठ करोड़ मिथिलावासियों का सरकार कर रही अपमान, मैथिली भाषा को लेकर मगधी सरकार का तानाशाही कृत्य दुर्भाग्यपूर्ण।

पटना (रजनीश के झा)। बिहार सरकार द्वारा मैथिली अकादमी के पटना कार्यालय में की गई तालाबंदी की ख़बरों और इसको लेकर मिथिला मैथिली सेवी संस्थाओं द्वारा किये जा रहे विरोध के क्रम में मिथिला लोकतांत्रिक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज झा ने सरकार के उक्त कृत्य को आठ करोड़ मिथिलवासी और उनके मातृभाषा का अपमान बताया है। उन्होंने कहा है कि मिथिला क्षेत्र से चुनावी बहुमत लेने के बाद मैथिली भाषा को लेकर बिहार सरकार का यह तानाशाही रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार का यह अपमानजनक फ़ैसला निश्चित तौर पर देश के साहित्य अकादमी के प्रासंगिकता पर सवाल खड़े करता है। जिस संवैधानिक मान्यता प्राप्त भाषा की साहित्य को अब तक कुल नौ बार साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा जा चुका हो उसके प्रदेश कार्यालय की बंदी भारतीय संविधान का हनन है और सरकार को कटघरे में खड़ा करती है। उन्होंने कहा कि भाषाई अकादमियों की रक्षा करना सरकार का ही दायित्व है। बिहार सरकार और उससे संबंधित महकमा सदैव से ही मैथिली भाषा को कमजोर कर मिथिला क्षेत्र की एकीकृतता को विखंडित करने की नीति पर काम करती आ रही है। केंद्रीय शिक्षा नीति के विरूद्ध प्राथमिक शिक्षा में मैथिली माध्यम की पढ़ाई को दरकिनार कर बिहार सरकार अपनी मंशा स्पष्ट कर चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकार की यह नीति मैथिली भाषा से स्तरीय शिक्षा ग्रहण करने वाले तमाम छात्रों के साथ क्रुर मजाक है। मिथिला क्षेत्र को विभाजन करने की सरकारी नीतियों का पुरजोर विरोध किया जाएगा। उन्होंने सख़्त लहज़े में सरकार से मैथिली भाषा के विकास को लेकर अपनी नीतियों पर गहन विचार किए जाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि मिथिला लोकतांत्रिक मोर्चा आने वाले समय में उक्त गंभीर विषय को लेकर आंदोलन कर मिथिला क्षेत्र में सरकार की मिथिला मैथिली विरोधी स्वरूप का पोल खोलने का काम करेगी।
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