नमक हराम वो पहली फिल्म थी जिससे सही मायने में फिल्म इंडस्ट्री में शक्ति संतुलन राजेश खन्ना से अमिताभ बच्चन की तरफ़ सरकने की शुरुआत हुई। ख़ुद राजेश खन्ना की भी यही सोच थी। सालों बाद मूवी पत्रिका को दिए इंटरव्यू में राजेश खन्ना ने कहा, “जब मैंने लिबर्टी सिनेमा में नमक हराम का ट्राल शो देखा, मैं समझ गया कि मेरा दौर अब बीत चुका है। मैंने ऋषि दा से कहा, ‘ये रहा कल का सुपरस्टार’
लेकिन इसी दौर से जुड़ा एक बेहद दिलचस्प क़िस्सा है। जब नमक हराम की शुरुआत हुई थी तो राजेश खन्ना सुपर स्टार थे और अमिताभ एक फ्लॉप एक्टर। राजेश खन्ना के पास शूटिंग के लिए डेट्स नहीं थी जबकि अमिताभ के पास वक्त ही वक्त था। इसीलिए अमिताभ के हिस्से की ज़्यादातर शूटिंग पहले निपटा ली गई। फिल्म के रशेज़ जब डिस्ट्रीब्यूटर्स के एक ग्रुप को दिखाए गए तो उस समय फिल्म में अमिताभ बहुत ज़्यादा दिख रहे थे और राजेश खन्ना बहुत कम। डिस्ट्रीब्यूटर्स को लगा कि फिल्म के हीरो अमिताभ बच्चन हैं और राजेश खन्ना गेस्ट अपीयरेंस कर रहे हैं। वो फ्लॉप एक्टर अमिताभ की फिल्म को खरीदने में हिचक रहे थे।
मगर ऋषिकेश मुखर्जी सीनियर फिल्मकार थे और उनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा था। इसलिए डिस्ट्रीब्यूटर्स फिल्म को सीधे रिजेक्ट नहीं करना चाहते थे। लिहाज़ा कुछ सीन देखकर एक के बाद एक डिस्ट्रीब्यूटर्स फिल्म में कमियां निकालने लगे। आखिर में कुछ डिस्ट्रीब्यूटर्स ने अमिताभ और उनके ‘कानों को ढकने वाले हेयर स्टाइल’ पर निशाना साधते हुए कहा, “आपका हीरो बंदर की तरह लगता है। उससे कहिए कि कम से कम ढंग से बाल तो कटवा ले ताकि हमें पता चल सके कि उसके कान हैं भी या नहीं!” इस बात पर सारे डिस्ट्रीब्यूटर्स हंस पड़े।
इस घटना के कुछ महीने बाद ही प्रकाश मेहरा की ज़ंजीर रिलीज़ हो गई और अमिताभ एंग्री यंग मैन के रूप में लाखों युवाओं की पसंद बन गए। जबकि तक़रीबन इसी समय पांच फ्लॉप फिल्मों की चोट से राजेश खन्ना का स्टारडम अचानक डगमगा गया था। नमक हराम की उस वक़्त शूटिंग चल रही थी।
सफलता सबकुछ बदल देती है। ज़ंजीर की कामायबी के बाद अमिताभ का मज़ाक उड़ाने वाले उन्ही डिस्ट्रीब्यूटर्स ने फोन करके कहा कि फिल्म नमक हराम में अमिताभ का रोल बढ़ाया जाए। उन्होंने ये मांग भी की, कि फिल्म के पोस्टर्स और पब्लिसिटी में अमिताभ बच्चन को भी राजेश खन्ना के बराबर जगह दी जाए। फिल्म की प्लानिंग के वक़्त अमिताभ बच्चन सह-अभिनेता थे मगर शूटिंग खत्म होते-होते दौर बदल चुका था। नमक हराम में अमिताभ राजेश खन्ना के बराबर खड़े हो चुके थे।
अमिताभ का ‘कानों को ढकने वाला हेयर स्टाइल’ अब फैशन स्टेटमेंट बन चुका था। फिल्म इंडस्ट्री में सत्ता के इस बदलाव के बारे में बहुत कुछ कहा जा चुका है। लेकिन राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन की नई पोज़ीशन पर सबसे सटीक टिप्पणी शायद बंबई के नाइयों ने की थी। फिल्म की रिलीज़ के बाद बंबई के कई हेयर-कटिंग सैलून्स के बाहर नया बोर्ड लग चुका था। इसमें एक नई एंट्री फिल्म इंडस्ट्री में हवा का नया रुख पूरी तरह से बयां कर रही थी-
राजेश खन्ना हेयर कट-------- 2 रुपए
अमिताभ बच्चन हेयर कट---- 3.50 रुपए
------जारी
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