रेलगाडियों और स्टेशनों पर उपलब्ध कराए जा रहे भोजन आदि की बढती शिकायतों को दूर करने के लिए रेलवे ने शुरू में राजधानी दुरन्तो शताब्दी तथा अन्य मेल और एक्सप्रेस रेलगाडियों में भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम लिमिटेड (आईआरसीटीसी) को भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था से वंचित करने का फैसला किया है।रेल मंत्री ममता बनर्जी ने इस सेवा को आईआरसीटीसी से लेकर वापस रेलवे को सौंपने का निर्णय लिया है। इसके लिए 2005 की खान-पान नीति के स्थान पर नई नीति पेश की गई है। इसे तीन महीने में लागू किया जाएगा। नई नीति में खान-पान ठेकों में बडी कंपनियों के एकाधिकार को समाप्त करने तथा छोटी इकाइयों को सरंक्षण देने का वादा किया गया है। नई खान-पान नीति में जिन बातों पर खास जोर है, वह है- ट्रेनों में परोसे जाने वाले खाने की गुणवता सुनिश्चित करना, कैटरिंग ठेकों में एकाधिकार समाप्त करना, मार्च 2010 के बाद किसी भी पुराने वेंडर को बेवजह नहीं निकाला जाएगा। रेलवे के ताजा फैसले के बाद आईआरसीटीसी के हाथ से करीब 200 करोड रूपये का कारोबार छिन जाएगा।
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