वित्तीय अनियमितता के मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने के आदेश पर पुनर्विचार के लिए राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका पर पटना उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को फैसला सुरक्षित रखते हुए सीबीआई जांच को अगले आदेश तक रोक दिया है।
राज्य में विपक्षी दलों का आंदोलन जारी है। मुख्य न्यायाधीश रेखा एम दोषित तथा सुधीर कुमार कटरियार की खंडपीठ ने दो दिनों तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। हालांकि न्यायालय के एक अधिकारी के अनुसार खंडपीठ ने 26 जुलाई को सीबीआई के निदेशक और उप निदेशक को भी न्यायालय में उपस्थित रहने के अपने आदेश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
उल्लेखनीय है कि इसी खंडपीठ ने 15 जुलाई को अरविंद कुमार शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले की सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि न्यायालय ने इस मामले पर अगले आदेश तक सीबीआई की जांच पर रोक लगा दी है, जिससे सरकार को राहत मिली है। ज्ञात हो कि न्यायालय के सीबीआई जांच के आदेश के बाद राज्य के अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने राज्य सरकार की ओर से न्यायालय में सीबीआई जांच के अपने आदेश पर पुनर्विचार की अर्जी दी थी। इधर, कांग्रेस के विधायक प्रदेश अध्यक्ष महबूब अली कैसर के नेतृत्व में राज्यपाल से मिलने गए तथा उन्हें ज्ञापन सौंपकर नीतीश सरकार को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की। राज्यपाल से मिलने के बाद कैसर ने पत्रकारों को बताया कि मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में जो कुछ हुआ, वह संविधान की मर्यादा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि विधानसभा के अध्यक्ष एकतरफा कार्रवाई कर रहे हैं, जिससे यहां संवैधानिक प्रणाली ठप्प हो गई है। इस कारण सरकार को बर्खास्त किया जाना चाहिए। लोजपा के अध्यक्ष रामविलास पासवान ने जनता दल (युनाइटेड) के उस बयान को हास्यास्पद बताया है जिसमें उसने राज्यपाल के विपक्षी नेता की तरह व्यवहार करने की बात कही है। पटना में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए पासवान ने कहा कि विपक्ष के लोगों को जब विधानसभा से निलंबित कर दिया गया है तो इसकी शिकायत वे राज्यपाल से करेंगे ही। जद (यू) के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने राज्यपाल देवानंद कुंवर की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस तरह विपक्षी दलों के विधायकों को राजभवन मार्च की आजादी दे दी गई है और मीडिया प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जा रहा है, उससे लगता है कि राज्यपाल की भूमिका विरोधी दल के एक कार्यकर्ता की है। उन्होंने कहा कि इससे लोगों के बीच राजभवन की मर्यादा घटी है। इधर, मानसून सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों ने हंगामा किया, लेकिन विधायी कार्य चलते रहे। गौरतलब है कि दो दिन पूर्व कांग्रेस के दो विधायकों समेत विपक्ष के 67 विधायकों को मानसून सत्र से निलंबित कर दिया गया था। छात्र लोजपा ने गुरूवार को छात्र राजद पर हुए लाठी चार्ज के विरोध में पटना विश्वविद्यालय में पठन-पाठन ठप्प कर दिया तथा तो़डफो़ड की। उल्लेखनीय है कि बिहार में विकास कार्यो में कथित वित्तीय अनियमितता को लेकर पटना उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद अदालत ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दे दिया था। घोटाला सामने आने के बाद से विपक्ष सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रहा है।
शनिवार, 24 जुलाई 2010
ट्रेजरी मामले में अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा !!
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