प्यार केवल देना है, लेना नहीं। इसमें कोई शर्त नहीं होती,
यह आत्म त्याग है। जहां लेन देन है वहां व्यापार है।
यदि आप केवल लेना जानते हैं तो यह स्वार्थ है।
यह केवल देना ही देना है। प्यार की कोई
सीमा नहीं है, यह तो प्रति क्षण बढ़ता है।
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