महिला आयोग को दंड देने का अधिकार नहीं !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 2 अगस्त 2010

महिला आयोग को दंड देने का अधिकार नहीं !!

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को फौजदारी अदालत के समान अधिकार नहीं हैं और वे आपराधिक दंड कानून लागू नहीं करा सकते। साथ ही, कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से जारी लुक-आउट नोटिस के आधार पर आव्रजन अधिकारियों द्वारा विमान से उतारे गए एक व्यक्ति को 40,000 रुपए का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।

हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग और विदेशी नागरिक क्षेत्रीय पंजीयन कार्यालय मिलकर विकास शर्मा को मुआवजे की राशि देंगे। वैवाहिक विवाद के सिलसिले में शर्मा के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी।
शर्मा ने यह आरोप लगाते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि पंजीयन कार्यालय ने अप्रैल 2008 में उन्हें विमान से उतारने और हिरासत में लेने का कदम गैर-कानूनी तरीके से उठाया। उनकी पत्नी के एक शिकायत दर्ज कराने के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग के कहने पर ऐसा किया गया था।

जस्टिस एस. मुरलीधर ने कहा कि इस कोर्ट का यह मत है कि लुक-आउट नोटिस जारी करने को लेकर कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग के विदेशी नागरिक क्षेत्रीय पंजीयन कार्यालय के डीसीपी को पत्र लिखना कानून के विरुद्ध है।

1 टिप्पणी:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

शायद पहले पैरे में, "राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग" की जगह "महिला आयोग" लिखना चाहा होगा आपने (LOC के संदर्भ में).