मुंशी प्रेमचंद की चुनिन्दा कहानियाँ वेबसाइट पर उपलब्ध !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2010

मुंशी प्रेमचंद की चुनिन्दा कहानियाँ वेबसाइट पर उपलब्ध !!

कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद की कहानियों के जादू से अछूता रहना मुश्किल है। उनके साहित्य से प्रभावित होकर अब देश के शीर्ष प्रौद्योगिकी शिक्षण संस्थान आईआईटी कानपुर ने एक वेबसाइट पर उनकी चुनिंदा कहानियों को 11 लिपियों में पेश किया और इंटरनेट जगत पर इस पहल को अच्छा प्रोत्साहन भी मिल रहा है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के कम्प्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग की इस परियोजना से जुड़ी रही रजनी मोना ने बताया कि इस वेबसाइट में प्रेमचंद की कहानियों का अनुवाद नहीं किया गया है बल्कि इनका लिप्यांतरण [ट्रांसलिटरेशन] ही किया गया है। इसे उपलब्ध लिपियों में पढ़ा जा सकता है।

आईआईटी द्वारा विकसित इस साफ्टवेयर के जरिये प्रेमचंद की कहानी को देवनागरी, असमिया, बांग्ला, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, उड़ीया, पंजाबी, रोमन, तमिल और तेलुगु लिपियों में पढ़ा जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रेमचंद की चुनिंदा कहानियों को यूनीकोड में टाइप करके वेबसाइट में डाल दिया गया है।

इसके बाद एक विशेष साफ्टवेयर के जरिये इन कहानियों को 11 लिपियों में पढ़ा जा सकता है। इस वेबसाइट में प्रेमचंद की ईदगाह, दो बैलों की कथा, बड़े भाई साहब, लाग डांट, प्रेरणा, गुल्ली डंडा, शतरंज के खिलाड़ी, जुलूस, रामलीला, नशा, आत्माराम, सवा सेर गेंहू और लाटरी शामिल हैं।

रजनी का दावा है कि प्रेमचंद हिन्दी के पहले कहानीकार हैं, जिनकी कहानियों को देश की प्रमुख भारतीय लिपियों में वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने बताया कि इस वेबसाइट को करीब पांच साल पहले विकसित किया गया था। उन्होंने बताया कि सबसे पहले संस्थान ने गीता सुपरसाइट विकसित किया था। इसके बाद उपनिषद, ब्रहम सूत्र और रामचरितमानस का लिप्यांतरण वेब पर उपलब्ध कराया गया। इस पूरी परियोजना के प्रमुख डा़ टीवी प्रभाकर थे।

प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय था, लेकिन वह अपने पेन नेम प्रेमचंद या मुंशी प्रेमचंद के नाम से मशहूर हुए। उनका जन्म बनारस के निकट पांडेपुर गांव में 31 जुलाई 1880 को हुआ था। उनके पिता मुंशी अजायब लाल डाक विभाग में लिपिक थे। प्रेमचंद जब केवल आठ साल के थे तो उनकी मां का निधन हो गया। मुंशी प्रेमचंद का निधन आठ अक्टूबर 1936 को हुआ। उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद के कहानी संग्रह मानसरोवर के मोती अब इंटरनेट में देश की प्रमुख लिपियों में जगमगा रहे हैं।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

The website also should have been quoted on which these stories are avaialable