खेल गाँव बनाने वाली कम्पनी फंसी ! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010

खेल गाँव बनाने वाली कम्पनी फंसी !

कॉमनवेल्थ खेलों में भ्रष्टाचार की जांच के साथ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई खेल गांव बनाने वाली कंपनी के खिलाफ हुई है। शहरी विकास मंत्रालय ने एमार-एमजीएफ कंपनी की 183 करोड़ रु. की बैंक गारंटी जब्त करने के आदेश दिए हैं। इस कंपनी ने सीमा से बाहर जाकर प्रोजेक्ट पर खर्च किया है।


शहरी विकास मंत्रालय ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को आदेश दिया है कि वह कॉमनवेल्थ खेल गांव बनाने वाली कंपनी एमार-एमजीएफ की 183 करोड़ रु. की बैंक गारंटी जब्त कर ले। इसके अलावा तय सीमा से ज्यादा खर्च की भी वसूली करे। डीडीए सूत्रों के अनुसार विभाग जल्द ही इस वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई करेगा है। कंपनी ने खेलगांव बनाते हुए कई बार सरकार के सामने यह दलील दी थी कि उसके पास फंड की कमी है, ऐसे में प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए धन उपलब्ध कराया जाए। उसकी बात मानते हुए डीडीए ने खेलगांव के फ्लैट की बिक्री कर के चार हजार करोड़ रु. जुटाए और कंपनी को दे दिए थे। प्रापर्टी व्यवसाय में एमार कंस्ट्रक्शन कंपनी एक बड़ा नाम है। दुबई में बनी दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा भी इसी कंपनी ने डेवलप की है। हालांकि, आर्थिक मंदी के दौर में कंपनी ने बुर्ज प्रोजेक्ट को भी धीमा कर दिया था।


कॉमनवेल्थ गेम्स में हुई धांधली की जांच में दिल्ली हाईकोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया है। इस बारे में दायर की गई दो याचिकाओं को भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट का नजरिया साफ करते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि सरकार ने खेल आयोजन में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच के लिए समिति बना दी है और इससे जुड़े मामले समिति के सामने ले जाए जा सकते हैं। अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने इन घोटाले की अलग से जांच कराए जाने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी तरह की एक याचिका सात सेवानिवृत्त आईएएस अफसरों द्वारा भी दायर की गई थी। इसमें ठेके से जुड़े कागजात जब्त कर एक लाख रु. से ज्यादा के सभी कामों की जांच कराने की मांग की गई थी।


आयकर छापे की जद में आए भाजपा नेता सुधांशु मित्तल ने सरकार को निशाना बनाते हुए खुद को बलि का बकरा बताया। मित्तल ने कहा कि यह कार्रवाई घोटाले की जांच से ध्यान हटाने के लिए की गई है। बुधवार को मित्तल ने कहा कि मेरे खिलाफ यह मुहिम घोटाले की जांच को धीमा करने के लिए की गई है। उन्होंने सफाई दी कि उनकी फर्म दिल्ली टेंट एंड डेकोरेटर्स ने कॉमनवेल्थ खेलों के लिए 29 लाख रु. का ठेका लिया, लेकिन आयकर विभाग के भारी भरकम छापों से यह बताने की कोशिश की गई कि खेलों के दौरान सारा भ्रष्टाचार मैंने ही किया।


मित्तल ने कहा कि 230 करोड़ रु. का ठेका लेने वाली दीपाली डिजाइन एंड एक्सिबिट को मेरी कंपनी बताने की कोशिश की गई, जबकि उसमें मेरे या मेरे परिवार की कोई हिस्सेदारी नहीं है। हालांकि, मित्तल ने बाद में खुलासा किया कि दीपाली डिजाइन कंपनी उनके परिवार में बंटवारे के बाद अस्तित्व में आई है, जिसमें वे भी डायरेक्टर हूं। जबकि इस कंपनी को उनकी नियुक्ति से पहले ही 35 करोड़ के ठेके मिल चुके थे। आयकर विभाग के सूत्रों ने बताया कि मित्तल के ठिकानों और आयोजन समिति के सदस्य हरीश शर्मा के घर मारे गए छापों में 200 करोड़ रु. के ठेके से जुड़े कागजात मिले हैं। मंगलवार को प्रधानमंत्री कार्यालय पर आरोप लगाने वाली भाजपा ने बुधवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर निशाना साधा है। यह मांग की गई है कि कॉमनवेल्थ खेलों की निष्पक्ष जांच के लिए शीला दीक्षित को पद से हटाया जाए।


दिल्ली भाजपा अध्यक्ष विजेंदर गुप्ता ने कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री होने के नाते शीला दीक्षित को राज्य सरकार द्वारा कराए गए 20 हजार करोड़ रु. के काम में भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

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