
राज्य में 32 साल बाद होने वाले पंचायत चुनाव के पहले चरण में 27 नवंबर को मतदान होगा। इसके पहले झारखंड में पंचायत चुनाव वर्ष 1979 में हुए थे। उस समय यह राज्य अविभाजित बिहार का हिस्सा था। ये चुनाव 27 नवंबर से 20 दिसंबर तक पांच चरणों में कराए जाएंगे। इन चुनावों में 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गईं हैं।
सूत्र ने बताया कि पंचायत चुनाव दलों के दिशा-निर्देशों पर नहीं होंगे और न ही राज्य सरकार पर आदर्श आचार संहिता लागू करने की बाध्यता होगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए झारखण्ड में पंचायत चुनाव न होने से राज्य को 4,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है।
चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए राज्य की सीमाओं को सील कर दिया गया है। पड़ोसी राज्यों से झारखंड आने वाली सड़कों पर विशेष चौकसी बरती जा रही है। इसके अलावा राज्य के सभी जिलों में वाहनों की सघन जांच चल रही है। चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए इस बार 426 कंपनियां तैनात रहेंगी। इनमें सीआरपीएफ के अलावा झारखंड जगुआर, जैप व जिला पुलिस के जवान शामिल हैं।
पंचायत चुनाव लड़ रहे मनिका प्रखंड के प्रत्याशी अजीब पसोपेश में हैं। उन्होंने नामांकन दाखिल कर दिया है और नाम वापस लेने की तिथि निकल चुकी है। अब नक्सलियों ने उन्हें चुनाव मैदान से हटने की धमकी दी है। चेताया है कि अगर वे चुनाव लड़े तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। झारखंड के 24 में से 24 जिले नक्सल प्रभावित हैं इसलिए हिंसा मुक्त पंचायत चुनाव कराना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगा।
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