आयकर विभाग ने 2008 और 2009 में ये बातचीत टेप की थी। टाटा ने मांग की है कि इन टेपों के लीक होने की जिम्मेदारी तय की जाए। टाटा ने याचिका में कहा है कि उनके और राडिया के बीच हुई कुछ बातचीत निजी हैं और वह जांच का हिस्सा नहीं हो सकती हैं। राडिया की पीआर कंपनी ही टाटा समूह के जनसंपर्क का कामकाज देखती है।
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला सामने आने के बाद कई पत्रिकाओं ने नीरा राडिया की राजनीतिज्ञों, पत्रकारों और उद्योपतियों के साथ हुई बातचीत प्रकाशित की है। इस तरह की बातचीत के कई टेप विभिन्न वेबसाइटों पर भी आ चुके हैं। इससे लॉबिंग करने वालों का पत्रकारों के साथ गठजोड़ उजागर हुआ है।
एनडीटीवी के साथ गत गुरुवार एक साक्षात्कार में टाटा ने कहा था कि एजेंसियों को राष्ट्रीय सुरक्षा या कानून लागू करने के लिए लोगों की निजी जिंदगी में दखल का विशेष अधिकार मिला हुआ है। उन्होंने कहा था कि एजेंसियां ऐसा कर सकती हैं लेकिन यह अतिरिक्त अधिकार विशेष अधिकार है, जिसका जिम्मेदारपूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इस तरह की बातचीत का इस्तेमाल मुकदमा चलाने आदि के लिए होना चाहिए, इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
टाटा ने कहा कि मैंने ऐसी कुछ टेप सुना है, आप जानते हैं कि मैं दिल्ली में नहीं रहता। पर मैं यह सोचता हूं कि क्या अन्य लोगों के फोन भी टेप हो रहे हैं, क्या हमें इसी तरह की बातचीत सुनने को मिलेगी। मुझे नहीं पता कि राडिया के पास इतना प्रभाव है कि वह मंत्रिमंडल की नियुक्तियों को प्रभावित कर सकती हैं। यह पूछे जाने पर कि इन सबके पीछे कौन है, टाटा ने कहा, सरकार, कारपोरेट जगत में प्रतिद्वंद्वी या कोई भी दुश्मन हो सकता है। मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।
1 टिप्पणी:
आज अब वक्त आ गया है जब इस देश के लोगों को रतन टाटा जैसे लोगों के खिलाप देश और समाज के साथ गद्दारी तथा पूरी व्यवस्था को अपनी व्यवसायिक फायदे के लिए भ्रष्ट बनाने का मुकदमा एकजुट होकर दायर करना चाहिए.........वो तो भला हो देश के उन इमानदार खुफिया अधिकारीयों का जिन्होंने ऐसे गद्दारों के फोन को टेप किया तथा इस देश और समाज के साथ ईमानदारी निभाया.....ऐसे इमानदार अधिकारी भारत रत्न के हक़दार हैं......
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