बॉबे हाईकोर्ट ने कहा है यदि कोई वयस्क व्यक्ति निजी कमरे में पॉर्न फिल्म देखता है तो वह अपराध नहीं माना सकता है।बॉबे हाईकोर्ट ने एक बंगले में बार गल्र्स के साथ पॉर्न मूवी देखने के आरोप में 22 अधिकारियों के मामले में यह फैसला सुनाया। मुंबई पुलिस ने 26 अगस्त 2008 को मुंबई के लोनावाला के एक बंगले में 22 अधिकारियों को 11 बार गर्ल के साथ गिरफ्तार किया था।
पुलिस का आरोप था कि ये अधिकारियों को बार गर्ल के साथ पॉर्न फिल्म देख रहे थे और नशे में धुत थे।
पुलिस ने सभी आरोपियों को सार्वजनिक तौर पर अश्लीलता फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। जस्टिस वीके तहिलरमानी ने बुधवार को कहा अपना फैसला सुनाते हुए कहा अगर आरोपी बंद कमरे में पॉर्न फिल्म देख रहे थे तो महज इसे अपराध नहीं माना जा सकता। उस पर आईपीसी की धारा 392 के अंतर्गत अश्लीलता का मुकदमा दर्ज नहीं जा सकता।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें