भारतीय सेना से चीन चिंतित ! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


मंगलवार, 23 नवंबर 2010

भारतीय सेना से चीन चिंतित !

अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी पर चीन ने एक बार फिर नाराजगी जाहिर की है। तिब्‍बत के दक्षिण हिस्‍से से सटे इस भारतीय इलाके में भारतीय सैनिकों का जमावड़ा बढ़ने की खबरों से चिंतित चीन ने भारत को कडे़ शब्दों में चेतावनी दे डाली है। स्‍थानीय अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार चीन ने भारतीय सेना के इस जमावडे़ को भारत का 'दुस्साहस' करार दिया है।

इस रिपोर्ट में भारत के सैन्‍य अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि भारत अगले साल इस इस इलाके में सेना के दो माउंटेन डिविजनों की तैनाती कर देगा। यानी अगले साल तक अरुणाचल प्रदेश में सेना के 1260 अधिकारियों और 35011 सैनिकों की अतिरिक्‍त तैनाती हो जाएगी। चीन इस क्षेत्र पर अपना दावा करता रहा है।

भारतीय सैन्‍य अधिकारियों ने कहा है कि दो माउंटेन डिविजन की योजना पूरी तरह तैयार है और इनके लिए अधिकारियों और सैनिकों की तैनाती कर दी गई है। इन डिविजनों को अत्‍याधुनिक हथियारों से लैस करने का काम चल रहा है। भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक मई 2011 तक अरुणाचल स्‍काउट्स की पहली बटालियन अभियान में जुट जाएगी।

अखबार ने चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मा ज्होक्सु के हवाले से कहा है कि भारत की ओर से इन माउन्टेन डिविजनों को भारी और अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया गया है जिसका मकसद चीन से मुकाबला करना है। चीनी अधिकारियों ने बटालियन के स्‍काउट का नाम अरुणाचल के नाम पर रखने पर भी आपत्ति जताई है।

प्रवक्‍ता ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वह चीन की ‘गंभीर चिंताओं’ को समझे और कोई ऐसा कदम नहीं उठाए जिससे इस क्षेत्र में गड़बड़ी पैदा हो, क्‍योंकि इससे भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने में बाधा आएगी। अक्‍टूबर 2009 में भी चीन के विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अरुणाचल दौरे पर ‘आपत्ति’ जाहिर की थी।

चायनीज एकेडमी आफ सोशल साइंसेज में एशिया प्रशांत मामलों के जानकार सुन शिहाई ने कहा कि अरुणाचल में सैनिकों की तादाद बढ़ाने की भारत की योजना से दोनों देशों के बीच सीमा से जुड़ी वार्ता में मुश्किल आएगी।
चीन की सरकारी संवाद एजेंसी शिन्‍हुआ ने भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव के हवाले से कहा है कि दोनों देशों को एक-दूसरे की प्रगति को एक अवसर के तौर पर देखना चाहिए, चुनौती के तौर पर नहीं। एजेंसी ने रविवार को दिए गए राव के बयान का जिक्र करते हुए कहा, ‘पहले हमारे संबंध इतने बेहतर नहीं थे लेकिन बातचीत के जरिये हमने आपसी सहयोग का माहौल तैयार किया और वार्ता की नींव रखी।’ 

कोई टिप्पणी नहीं: