इस रिपोर्ट में भारत के सैन्य अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि भारत अगले साल इस इस इलाके में सेना के दो माउंटेन डिविजनों की तैनाती कर देगा। यानी अगले साल तक अरुणाचल प्रदेश में सेना के 1260 अधिकारियों और 35011 सैनिकों की अतिरिक्त तैनाती हो जाएगी। चीन इस क्षेत्र पर अपना दावा करता रहा है।
भारतीय सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि दो माउंटेन डिविजन की योजना पूरी तरह तैयार है और इनके लिए अधिकारियों और सैनिकों की तैनाती कर दी गई है। इन डिविजनों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने का काम चल रहा है। भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक मई 2011 तक अरुणाचल स्काउट्स की पहली बटालियन अभियान में जुट जाएगी।
अखबार ने चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मा ज्होक्सु के हवाले से कहा है कि भारत की ओर से इन माउन्टेन डिविजनों को भारी और अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया गया है जिसका मकसद चीन से मुकाबला करना है। चीनी अधिकारियों ने बटालियन के स्काउट का नाम अरुणाचल के नाम पर रखने पर भी आपत्ति जताई है।
प्रवक्ता ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वह चीन की ‘गंभीर चिंताओं’ को समझे और कोई ऐसा कदम नहीं उठाए जिससे इस क्षेत्र में गड़बड़ी पैदा हो, क्योंकि इससे भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने में बाधा आएगी। अक्टूबर 2009 में भी चीन के विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अरुणाचल दौरे पर ‘आपत्ति’ जाहिर की थी।
चायनीज एकेडमी आफ सोशल साइंसेज में एशिया प्रशांत मामलों के जानकार सुन शिहाई ने कहा कि अरुणाचल में सैनिकों की तादाद बढ़ाने की भारत की योजना से दोनों देशों के बीच सीमा से जुड़ी वार्ता में मुश्किल आएगी।

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