
बिहार में तीन चौथाई से भी ज़्यादा बहुमत के साथ सत्ता में आए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बारे में माना जा रहा है कि जनता ने उसे स्वच्छ प्रशासन और बेहतर कामकाज के लिए दोबारा पुरस्कार के रूप में सत्ता सौंपी है. लेकिन नवनिर्वाचित विधायकों का प्रोफ़ाइल देखने पर तस्वीर थोड़ी चौंकाने वाली दिखती है. बिहार विधानसभा में कुल 243 विधायकों में से 141 के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज हैं यानी क़रीब साठ प्रतिशत विधायक ऐसे चुनकर आए हैं जिन पर किसी न किसी तरह के आपराधिक मामले लंबित हैं.
ये कहना है ग़ैर सरकारी संगठन नेशनल इलेक्शन वॉच का और इस संगठन ने ये आंकड़े तैयार किए हैं उन शपथपत्रों के आधार पर, जिन्हें खुद इन विधायकों ने चुनाव से पहले चुनाव आयोग के समक्ष सौंपे थे. यही नहीं इनमें से 85 विधायक ऐसे हैं जिनके ख़िलाफ़ गंभीर क़िस्म के आपराधिक मामले, मसलन हत्या और हत्या के प्रयास जैसे मामले दर्ज हैं.
संस्था ने कुल 241 नवनिर्वाचित विधायकों के शपथपत्र को खंगालकर ये रिपोर्ट तैयार की है जिसके मुताबिक़ 141 दागी विधायकों में से 58 विधायक जनता दल यूनाइटेड के और 58 विधायक भारतीय जनता पार्टी के हैं. यानी राजग के कुल 116 विधायकों का रिकॉर्ड उनके शपथ पत्र के मुताबिक़ आपराधिक रहा है. अगर पिछली विधानसभा से इसकी तुलना करें तो उसमें सिर्फ़ 117 विधायकों के ख़िलाफ़ ही आपराधिक मामले थे.
संस्था ने 10 ऐसे विधायकों की सूची भी तैयार की है जिन पर सबसे ज़्यादा मामले दर्ज हैं और ये सूची और भी चौंकाने वाली है. इस सूची में छह सदस्य जनता दल यूनाइटेड और तीन सदस्य भाजपा के हैं. जबकि एक सदस्य कांग्रेस पार्टी का है. ये सूची सिर्फ़ सत्ता पक्ष तक ही सीमित नहीं है बल्कि अन्य दलों के विधायक भी अपने संख्या अनुपात में किसी से पीछे नहीं हैं.
तीसरी बड़ी पार्टी यानी राष्ट्रीय जनता दल के कुल 22 विधयकों में से 13 के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले चल रहे हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी के चार में से सिर्फ़ एक सदस्य ऐसा है जिस पर कोई मुक़दमा दर्ज नहीं है. वहीं लोक जनशक्ति पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआई के शत प्रतिशत विधायक दागी हैं. यानी एलजेपी के तीन और सीपीआई के एकमात्र सदस्य पर आपराधिक मामले चल रहे हैं.
नेशनल इलेक्शन वॉच के मुताबिक 241 में से 47 विधायक करोड़पति हैं जबकि पिछली विधानसभा में करोड़पति विधायकों की संख्या महज़ आठ थी.
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