ईश्वर को अपने पूरे ह्रदय, मन, आत्मा और शक्ति से
प्यार करना सीखें| अपने पडौसी को अपने सामान ही
प्यार करो| ईश्वर और सभी लोगों को ईश्वर का अंश
मान कर प्यार करना बहुत विचित्र है| ईश्वर का
अनुभव होने पर हम किसी से घृणा नहीं कर सकते|
(श्री परमहंस योगानंद)
ईश्वर को अपने पूरे ह्रदय, मन, आत्मा और शक्ति से
प्यार करना सीखें| अपने पडौसी को अपने सामान ही
प्यार करो| ईश्वर और सभी लोगों को ईश्वर का अंश
मान कर प्यार करना बहुत विचित्र है| ईश्वर का
अनुभव होने पर हम किसी से घृणा नहीं कर सकते|
(श्री परमहंस योगानंद)
About आर्यावर्त डेस्क
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें