अग्नि प्रक्षेपास्त्र के नए संस्करण का परीक्षण. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

अग्नि प्रक्षेपास्त्र के नए संस्करण का परीक्षण.

भारत ने परमाणु क्षमता से लैस मध्यम दूरी के बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र अग्नि-2 का शुक्रवार को उड़ीसा के तटवर्ती व्हीलर आइलैंड स्थित समन्वित परीक्षण स्थल से खराब मौसम में भी सफल परीक्षण किया। प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण 10 बजे किया गया, जिसके बाद रक्षा सूत्रों ने बताया,  सतह से सतह में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण स्थल के प्रक्षेपण पैड नंबर चार से रेल मोबाइल लांचर के जरिए परीक्षण किया गया। उन्होंने कहा कि परीक्षण का परिणाम विभिन्न प्रणालियों के कामकाज से जुड़े आंकड़े उपलब्ध होने और विभिन्न केन्द्रों एवं टर्मिनल स्थल के नजदीक स्थित नौसैनिक जहाजों पर उनके विश्लेषण के बाद ही मालूम हो सकेगा।  

देश में ही निर्मित यह संवर्धित प्रक्षेपास्त्र अग्नि सीरीज का नया संस्करण है। इसे देश के मौजूदा अग्नि-2 प्रक्षेपास्त्र का बेहतर स्वरूप माना जा रहा है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के एक वैज्ञानिक के अनुसार अग्नि-2 का परिष्कृत संस्करण रेंज और सटीकता के मामले में बेहतर होगा।

मौजूदा अग्नि-2 प्रक्षेपास्त्र की मारक क्षमता 2000 किलोमीटर तक है और अग्नि-3 प्रक्षेपास्त्र 3500 किलोमीटर तक का निशाना साध सकता है, जबकि नया सामरिक अग्नि-2 प्रक्षेपास्त्र अग्नि-2 और अग्नि-3 के बीच क्षमता के अंतर को दूर करेगा। सूत्रों ने कहा कि सटीकता के लिहाज से इसमें कुछ बेहतर गुणों का समावेश किया गया है। भारत ने सबसे पहले अग्नि-2 का परीक्षण 11 अप्रैल 1999 को यहां से एक सौ किलोमीटर दूर व्हीलर आइलैंड से किया था। इसके बाद 17 जनवरी 2001 को इसने दूसरी परीक्षण उड़ान भरी, जिसके बाद इस द्विस्तरीय ठोस ईंधन वाले प्रक्षेपास्त्र के उत्पादन का रास्ता साफ हो गया।

19 मई 2009 को अग्नि-2 का इस्तेमाल संबंधी परीक्षण किया गया, जो असफल रहा। इसके बाद 24 नवंबर 2009 को किया गया परीक्षण भी सफल नहीं रहा। लगातार दो बार असफल रहने के कारण भारतीय सेना ने इसका परीक्षण 17 मई 2010 को किया। अग्नि-3 का पहला परीक्षण नौ जुलाई 2006 को उड़ीसा के तटवर्ती व्हीलर आइलैंड से किया गया, लेकिन यह असफल रहा। हालांकि इसके बाद 12 अप्रैल 2007 और सात मई 2008 को किए गए परीक्षण सफल रहे और तमाम मापदंडों पर खरे उतरे। इस प्रक्षेपास्त्र को चौथी बार सात फरवरी 2010 को परखा गया और और इसकी तमाम प्रणालियां और क्षमताएं सही पाई गईं। द्विस्तरीय ठोस ईंधन वाला यह प्रक्षेपास्त्र देश की सामरिक परमाणु ताकत में इजाफा करेगा और सेना में शामिल किए जाने के लिए तैयार है।

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