सफलता का सम्बंद्ध उस आत्म संतुष्टि से है जिस वातावरण में
व्यक्ति रहता है; यह सफलता उन कार्यों का परिणाम है जो सत्य
के आदर्शों पर आधारित है और अन्य व्यक्तियों की खुशहाली और
प्रसन्नता को अपनी पूर्णता का हिस्सा बनाना है। इस नियम को
अपने भौतिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक जीवन में उतारिये
तो उससे तुम्हें सफलता की पूर्ण और संतुलित परिभाषा मिलेगी|
(श्री परमहंस योगानंद)
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