जनहित याचिका दायर कर निजी मामले निपटाने की प्रवृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आपत्ति जताई है। इस पर सख्ती से लगाम लगाई जाना चाहिए। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड द्वारा तिरुपति मंदिर के विशेष अधिकारी को दिए गए सेवा विस्तार के खिलाफ लगाई गई पीआईएल की सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने यह टिप्पणी की।
साथ ही बोर्ड के फैसले का अनुमोदन भी किया है। जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी और एसएस निज्जर की बेंच ने एक फैसले में कहा है कि पीआईएल की आड़ में निजी हित साधने वाली याचिकाओं को तुरंत खारिज कर दिया जाना चाहिए। तभी इनके जरिए स्वार्थपूर्ति पर लगाम लगेगी।
संस्थानों के निजी मामले निपटाने के लिए अदालती मंच का प्रयोग भी रुकेगा। बेंच ने कहा कि पीआईएल दायर करने वाले की मंशा स्पष्ट रूप से तुच्छ स्वार्थों से ऊपर होना चाहिए।

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