सुप्रीम कोर्ट ने सिक्किम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी.डी़. दिनाकरन के खिलाफ न्यायिक दुराचरण और भ्रष्टाचार के आरोपों में पड़ताल के लिए राज्यसभा द्वारा नियुक्त समिति की तरफ से महाभियोग पूर्व जांच पर शुक्रवार को रोक लगा दी।
शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति दिनाकरन की याचिका पर यह फैसला सुनाया, जिसमें उन्होंने तीन सदस्यीय न्यायिक समिति द्वारा पक्षपातपूर्ण जांच की आशंका जताई थी। समिति में शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति आफताब आलम, कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर और वरिष्ठ वकील पी.पी. राव शामिल हैं।
61 वर्षीय दिनाकरन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र सरण ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एच.एस. बेदी और न्यायमूर्ति सी.के. प्रसाद की पीठ के सामने कहा कि राव उन वकीलों के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे जिन्होंने दिनाकरन की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के विरोध में 2009 में भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश के.जी. बालकृष्णन से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि जांच समिति में राव के शामिल होने से पक्षपात होने की आशंका है। पीठ ने दलीलों को सुनने के बाद समिति की कार्यवाही पर रोक लगा दी और समिति को, इसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति आफताब आलम को और वकील राव को नोटिस जारी किए।
शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति दिनाकरन की याचिका पर यह फैसला सुनाया, जिसमें उन्होंने तीन सदस्यीय न्यायिक समिति द्वारा पक्षपातपूर्ण जांच की आशंका जताई थी। समिति में शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति आफताब आलम, कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर और वरिष्ठ वकील पी.पी. राव शामिल हैं।
61 वर्षीय दिनाकरन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र सरण ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एच.एस. बेदी और न्यायमूर्ति सी.के. प्रसाद की पीठ के सामने कहा कि राव उन वकीलों के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे जिन्होंने दिनाकरन की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के विरोध में 2009 में भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश के.जी. बालकृष्णन से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि जांच समिति में राव के शामिल होने से पक्षपात होने की आशंका है। पीठ ने दलीलों को सुनने के बाद समिति की कार्यवाही पर रोक लगा दी और समिति को, इसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति आफताब आलम को और वकील राव को नोटिस जारी किए।
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