कर चोरी और छिपाकर विदेशी बैंकों में अकूत संपत्ति रखने के आरोपों से घिरे घोड़ा कारोबारी हसन अली खान ने प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में उससे पूछताछ करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए गुरुवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिली। शीर्ष अदालत की पीठ ने खान की मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्होंने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उसके समक्ष कोई आवेदन या याचिका दायर नहीं की है और वह मौखिक हलफनामे के आधार पर कोई आदेश जारी नहीं हो सकता ।
न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एसएस निज्जर के नोटिस पर मौखिक रूप से मामला उठाते हुए खान के वकील संतोष पॉल ने कहा कि निचली अदालत का आदेश गैर कानूनी है और इस पर रोक लगनी चाहिए। मुम्बई की एक सत्र अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को खान से पूछताछ करने के लिए उसे एक अप्रैल तक साढ़े दस बजे सुबह से साढ़े पांच बजे शाम तक अपने दक्षिण मुम्बई कार्यालय ले जाने की इजाजत दी थी। खान फिलहाल आर्थर रोड जेल में है।
पच्चीस मार्च को सत्र अदालत ने खान को आठ अप्रैल तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा था। खान मार्च के पहले सप्ताह में गिरफ्तार किया गया था। शीर्ष अदालत ने इससे पहले खान की जमानत को नामंजूर करने के अपने पुराने आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने अवकाशकालीन पीठ के 17 मार्च के उस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग ठुकरा दी थी जिसमें खान को मुम्बई के प्रधान सत्र न्यायाधीश एमएल तहलियानी की ओर से 11 मार्च को मिली जमानत पर असाधारण परिस्थतियों का हवाला देते हुए रोक लगा दी गई थी। खान को इस बात की इजाजत दी थी कि वह जमानत की मांग करते हुए विशेष न्यायाधीश के समक्ष आवेदन दे सकता है जो शीर्ष अदालत के आदेश या टिप्पणियों से बिना प्रभावित हुए उस पर विचार करेंगे। खान आयकर विभाग के 70000 करोड़ रूपये के कर मांग नोटिस और निदेशालय की जांच से जूझ रहा है।

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