जानवर की मौत नहीं मरना चाहता था : रामदेव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 26 जून 2011

जानवर की मौत नहीं मरना चाहता था : रामदेव

काले धन के खिलाफ आमरण अनशन करने पर नई दिल्ली से बाहर भेजे गए योग गुरु बाबा रामदेव तीन सप्ताह बाद रविवार को अपनी अनुयायी राजबाला से मिलने यहां पहुंचे। उन्होंने कहा कि रामलीला मैदान पर गत पांच जून को पुलिस उनकी हत्या करनी चाहती थी। लेकिन वे जानवर की मौत नहीं मरना चाहते थे।

रविवार शाम आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में योग गुरु ने अपने समर्थकों को यह कहते हुए धन्यवाद दिया कि रामलीला मैदान पर पुलिस की कार्रवाई में महिलाओं और बच्चों के साथ जो अन्याय हुआ उसे पूरे विश्व ने देखा।

राजबाला के स्वास्थ्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यदि वह ठीक हो जाती हैं तो यह एक चमत्कार से कम नहीं होगा। उन्होंने कहा, "यदि पुलिस यह कहती है कि उसने राजबाला को चोट नहीं पहुंचाई तो यह किसने किया। उन्हें जीवन रक्षक उपकरण पर रखा गया है।"

अनशन पर सरकार की ओर से हुई कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए रामदेव ने कहा कि यदि सरकार को संदेह था कि वह कुछ अवैध कर रहे हैं तो सरकार के चार केंद्रीय मंत्री उनसे मिलने हवाईअड्डे क्यों गए और प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री ने उन्हें पत्र क्यों लिखा। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि उनकी हत्या करने के लिए पुलिस को रामलीला मैदान भेजा गया था। रामदेव ने कहा, "पुलिस रामलीला मैदान मुझे गिरफ्तार करने नहीं आई थी। वह मेरी हत्या करनी चाहती थी। मैं इसके बारे में कोई साक्ष्य नहीं दूंगा क्योंकि मामला अभी सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित है।"

रामलीला मैदान में हुई पुलिस की कर्रावाई के बाद पहली बार दिल्ली पहुंचने पर बाबा रामदेव ने कहा कि वह किसी राजनीतिक दल या संगठन का नहीं बल्कि देश के 120 करोड़ लोगों का मुखौटा हैं। बाबा रामदेव ने यहां संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए कहा, "मेरी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम जारी रहेगी। सत्ताधारी दल द्वारा मीडिया के माध्यम से मुझ पर राजनीतिक दलों या संगठनों का मुखौटा होने का आरोप लगाया जा रहा है। मैं देश के 120 करोड़ लोगों का मुखौटा हूं। मेरा कोई दल नहीं है। मैं किसी भी राजनीतिक दल से सम्बंध नहीं रखता। मैं भ्रष्टाचार के विरुद्ध खड़े लोगों के साथ हूं चाहे वह किसी भी दल या सम्प्रदाय के हों।" राजनीतिक दलों से सम्बंध का आरोप लगाने वालों के सवाल पर उन्होंने कहा, "दुष्प्रचार करने वालों और गैर-जिम्मेदाराना बयान देने वालों की मुझे कोई परवाह नहीं है।"

उन्होंने कालेधन पर सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि उनके पास जितना भी कालाधन मिले उसे राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित कर दिया जाए। रामलीला मैदान पर चार जून की रात हुई पुलिस की कार्रवाई की ओर इशारा करते हुए बाबा ने कहा कि विदेशों में सारा धन सरकार और उसके सहयोगियों का है। अगर ऐसा नहीं है तो सरकार को पुलिस कार्रवाई करने की जगह उस धन को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित करना चाहिए था। उन्होंने एक थैले की तरफ इशारा करते हुए बताया के इसमें सरकार के 200 लाख करोड़ के कालेधन का हिसाब है। सरकार को इसका हिसाब देना चाहिए।

योग गुरु बाबा रामदेव ने आज कहा कि उनके आंदोलन को बर्बरता से कुचला गया। राजबाला की हालत के बारे में उन्होंने बताया कि उसके हाथो और पैरों में कोई मूवमेंट नहीं है। पीठ, पैर पर डंडों के चोट के निशान हैं। पुलिस ने डंडा नहीं मारा तो राजबाला के पीठ, पैर और कमर पर डंडे का बार किसने किया। बाबा रामदेव ने कहा कि पहले तो सरकार भ्रष्टाचारी थी लेकिन अब अत्याचारी हो गई है। काले धन और भ्रष्टाचार की बात नहीं होती है। व्यवस्था परिवर्तन की बात की जाती है तो परिवर्तन की मांग करने वालो को दबाने की कोशिश की जाती है।
उन्होंने कहा कि गांव, गरीब और भारत के विकास की बात जो करता है तो जो इसके विरोधी हैं वो रामदेव को जिंदा नहीं देखना चाहते हैं। अगर भ्रष्टाचार और काले धन का मुद्दा उठाना गलत है तो ये गुनाह लाख बार करेंगे। बाबा ने आरोप लगाते हुए कहा कि 4 जून की रात को महिलाओं के साथ बलात्कार की कोशिश की गई। महिला अधिकारों और मानवीय अधिकारों का हनन किया गया।

उन्होंने कहा कि 4 जून को जब मैं गिरफ्तारी देने को पहुंचा तो पुलिस ने मुझे क्यों नहीं गिरफ्तार किया। रामदेव ने कहा कि पुलिस उनको मिटाना चाहती थी। इसलिए मुझे गिरफ्तार नहीं किया गया। बंद पंडालों में आंसू गैस के गोले छोड़े गए। बाबा ने कहा कि मुझे आतंकवादी हमले का ईमेल भेजा गया। एक लाख किलोमीटर की यात्रा में मुझपर कोई आतंकी हमला नहीं हुआ। रामलीला मैदान में कौन सा आतंकवादी हमला होने वाला था। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, 'क्या ये देश एक पार्टी के लोगों के रहने के लिए है। क्या दिल्ली एक पार्टी के लोगों को रहने के लिए है। दूसरे लोग यहां नहीं रह सकते हैं। ये कैसा लोकतंत्र है। मुझे पार्टी का मुखौटा कहा जाता है। मैं किसी पार्टी का मुखौटा नहीं हूं। सरकार को उन पार्टियों से दिक्कत है तो उन्हें बैन क्यों नहीं करती है सरकार।'

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