एक प्रभावी लोकपाल के लिए इतने दिनों से चल रहे आंदोलन पर कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने पहली बार बोलते हुए संसद में एक सुझाव दिया कि लोकपाल को एक संवैधानिक संस्था बना दिया जाए, जैसाकि चुनाव आयोग है।
राहुल ने कहा कि सिर्फ एक कानून से भ्रष्टाचार नहीं मिटेगा, इसके लिए कई कानूनों की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि आज भ्रष्टाचार से हर व्यक्ति परेशान है, इससे निपटने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कोई आसान रास्ता नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर लोकपाल भ्रष्ट हो गया तो क्या होगा। राहुल ने कहा कि मौजूदा हालात को देखकर मैं परेशान हूं, जब संवैधानिक प्रणाली पर ही सवाल उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इतने सालों की आजादी के बाद भारत की एक अहम उपलब्धि उसकी संसदीय प्रणाली है, जिस पर सवाल उठाया जा रहा है।
राहुल ने कहा कि आज लोकपाल के मुद्दे पर संसद की सर्वोच्चता पर सवाल उठाया गया है, कल किसी और मुद्दे पर इस प्रकार का सवाल उठाया जा सकता है। इसलिए संसदीय प्रणाली के तहत संसदीय सर्वोच्चता को बरकरार रखते हुए लोकपाल को एक कानून बनाए जाने की बजाय एक संवैधानिक संस्था के रूप में स्थापित किए जाने पर भी विचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए कई स्तरों पर काम करने की जरूरत है। इसके लिए चुनाव में सरकारी फंडिंग, जमीन अधिग्रहण में पारदर्शिता एवं मजबूत कानून और खनन के क्षेत्र में भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए एक प्रभावी कानून की भी जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा लोकतंत्र को और मजबूत करना होगा। इस छोटे शहरों से लेकर सभी गांवों तक पहुंचाना होगा। तभी हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत होगी। हालांकि राहुल गांधी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे ने जिस तरह से लोगों को जागरूक किया है उसके लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

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