सरकार की नाक दबाने पर ही मुंह खुलता है:अन्ना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 12 सितंबर 2011

सरकार की नाक दबाने पर ही मुंह खुलता है:अन्ना


गांधीवादी अन्ना हजारे ने सोमवार को अपने गांव रालेगण सिद्धि के पद्मावती मंदिर परिसर में दूर दराज से आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार की नाक दबाने पर ही मुंह खुलता है। इसलिए जब तक भ्रष्टाचार पूरी तरह से समाप्त नहीं होता तब तक वह अनशन करते रहेंगे। 

अन्ना हजारे ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अभी उनका किसी भी प्रकार का संगठन बनाने का कोई इरादा नहीं है। आगे भी उनका आंदोलन पूरी तरह स्वयंसेवकों पर ही निर्भर करेगा। अन्ना ने यह भी स्पष्ट किया कि वो किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे और न ही किसी भी नेता को अपने मंच पर बैठने देंगे। 

आज सुबह महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के पालक मंत्री बब्बन राव पांचपूते भी अन्ना से मिलने आए थे। उन्होंने अन्ना से सुरक्षा स्वीकार करने का आग्रह किया लेकिन अन्ना ने महाराष्ट्र सरकार के इस आग्रह को ठुकरा दिया। लेकिन बब्बन राव ने कहा कि अन्ना हजारे महाराष्ट्र के महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं, उनकी सुरक्षा सरकार का दायित्व है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने अन्ना की सुरक्षा के लिए पद्मावत मंदिर में जवान तैनात किए हुए हैं। 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी के जनलोकपाल को समर्थन और लोकायुक्त नियुक्त करने के फैसले का स्वागत करते हुए अन्ना ने कहा कि खंडूरी सेना के अफसर रहे हैं इसलिए उनके मन में भी जनसेवा का भाव है। बाकी राज्य के मुख्यमंत्रीयों को भी ऐसा ही करना चाहिए। हालांकि अन्ना ने यह भी कहा कि बाकी नेता सत्ता और ताकत के मद में चूर हैं और पैसा कमाने की भूख ने उन्हें अंधा कर दिया है इसलिए उन्हें जनहित नहीं दिख रहा है। 

अन्ना हजारे ने देशभर के स्वयंसेवकों से आह्वान करते हुए कहा कि वे बड़ी तादाद में राष्ट्रसेवा के लिए आंदोलन से जुड़े। अन्ना ने यह भी कहा कि कुछ लोग उनसे मिलने आ रहे हैं और उनके साथ फोटो खिंचा रहे हैं। इनमें से कुछ गलत भी हो सकते हैं जो उनके साथ फोटो दिखाकर अधिकारियों को ब्लैकमेल करने की कोशिश कर सकते हैं। अन्ना ने कहा कि उनके आंदोलन को ऐसे लोगों से ही खतरा है। 

अन्ना ने फिर यह दोहराया कि लोकपाल से भी सिर्फ 60 फीसदी भ्रष्टाचार ही कम हो पाएगा। बाकी के लिए व्यापक परिवर्तन और राष्ट्रव्यापी आंदोलन की जरूरत होगी। अन्ना ने चुनाव सुधारों, प्रतिनिधियों को नकारने और वापस बुलाने के अधिकार को भी वक्त की जरूरत बताया। किसानों के साथ हो रहे अन्याय की बात रखते हुए अन्ना ने कहा कि किसान मेहनत कर रहे हैं और नेता उनका माल खा रहे हैं।

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