प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में सुरक्षा के माहौल को अनिश्चित मानते हुए सुरक्षा एजेंसियों को सीमा पार आतंकी शिविरों के फिर से सक्रिय होने के प्रति आगाह किया है।
शुक्रवार को नई दिल्ली में आईबी के दो दिवसीय डीजीपी-आईजी सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमा के उस पार आतंकी शिविरों की सक्रियता फिर बढ़ी है। ऐसी रिपोर्ट भी है कि नए आतंकियों की भर्ती की जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि अपने बेहतर आपसी तालमेल से वह किसी भी घुसपैठ की चेष्टा को समय रहते विफल करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुंबई में आतंकियों के हमले से यह बात उजागर हो चुकी है कि आतंकियों के पास नई से नई टेक्नोलॉजी है और उनकी रियल टाइम इंफॉरमेशन शेयरिंग प्रणाली भी पुख्ता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमें अपने दुश्मनों से एक कदम आगे रहना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में स्थिति सामान्य हुई है। कश्मीर मसले के समाधान के लिए व्यापक विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि मसले का न्यायसंगत समाधान निकालने के लिए बातचीत और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मौका देने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था में कोताही की किसी तरह की गुंजाइश नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल में राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में यह विषय आया था कि कई बार जांच एजेंसियां और कानूनी संगठन अल्पसंख्यकों के खिलाफ एक पूर्वाग्रह से कार्य करते हैं। उन्होंने इसे प्रभावी पुलिस व्यवस्था के प्रति नकारात्मक छवि विकसित करने वाला करार देते हुए कहा कि समाज के सभी वर्ग का विश्वास जीतना अहम है। उन्होंने कहा कि देश में पुलिसकर्मियों की कमी से निपटने के लिए भी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि दंगों के समय एक विशेष पुलिस बल की जरूरत का मसला भी राष्ट्रीय एकता परिषद में आया था। इसे रैपिड एक्शन फोर्स एक विशेषज्ञता के साथ अंजाम दे रही है।
प्रधानमंत्री ने इस तरह के बल को राज्य पुलिस बलों में गठित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कई बार पुलिस बलों को अन्य जगहों पर जाकर कानून व्यवस्था संभालनी होती है। ऐसे में उनकी राह में भाषा, स्थानीय संवेदना की कम जानकारी और अन्य स्थानीय दिक्कतें आती है। माना जा रहा है कि उन्होंने यह बिंदु उस तथ्य के संदर्भ में कही हैं जिसमें कहा जाता है कि रैपिड एक्शन और केंद्रीय बल कई बार ज्यादती करते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिसकी वजह से वह स्थानीय समूहों का विश्वास हासिल करने में पीछे रह जाते हैं।’ उन्होंने कहा,‘वह जानते हैं कि इस दिशा में काफी काम हुए हैं लेकिन अभी और बहुत कुछ किया जाना बाकी है।’

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