महंगाई दर पर कड़ा अंकुश बनाए रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को अपनी अल्पकालिक नीतिगत ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की और बढ़ोतरी कर दी है। केंद्रीय बैंक के इस निर्णय से बैंकों के पैसे की लागत बढ़ सकती है और ऐसे में वे वाहन, मकान और अन्य कर्ज पर ब्याज और महंगा कर देंगे।
मार्च, 2010 के बाद यह 12वां मौका है जब केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में इजाफा किया है। इस वृद्धि के बाद रिजर्व बैंक द्वारा वाणिज्यिक बैंकों से अल्पकालिक उधार के रूप में दी जाने वाली नकदी पर ब्याज (रेपो रेट) 8 से बढ़कर 8.25 प्रतिशत हो गई है। इसी तरह रिजर्व बैंक नकदी समायोजना सुविधा के तहत बैंकों से नकदी लेता है उस पर ब्याज दर (रिवर्स रेपो) 7.25 फीसदी होगी।
केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को प्रस्तुत मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में बैंकों के लिए आरक्षित नकदी के अनुपात (सीआरआर) और बैंक दर आदि में कोई बदलाव नहीं किया है। सीआरआर बैंकों के पर जमा का वह हिस्सा जिसे उन्हें केंद्रीय बैंक के पास अनिवार्य रूप से रखना होता है। इसी तरह बैंक दर रिजर्व बैंक की दीर्घ कालिक ऋणों के लिए ब्याज दर है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि अभी तक रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए मौद्रिक नीति को सख्त करने के उपायों से मुद्रास्फीति पर अंकुश में मदद मिली है और साथ ही मुद्रास्फीतिक संभावनाओं को भी कुछ नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि अभी भी यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से कहीं ऊंची चल रही है। यहां तथ्य यह है कि केंद्रीय बैंक द्वारा मार्च, 2010 के बाद से कई बार ब्याज दरों में वृद्धि करने के बावजूद अगस्त में कुल मुद्रास्फीति बढ़कर 9.8 प्रतिशत हो गई है। जुलाई में यह 9.2 फीसदी के स्तर पर थी। रिजर्व बैंक ने कहा कि आगे मौद्रिक नीति का रुख मुद्रास्फीति की दिशा पर निर्भर करेगा।

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