पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि यदि वह पाकिस्तान की आलोचना जारी रखेगा तो उसे एक सहयोगी से हाथ धोना पड़ सकता है। हिना रब्बानी ने न्यूयॉर्क में जिओ टीवी से बातचीत में अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा, ‘आप पाकिस्तान और वहां की अवाम को अलग-थलग नहीं कर सकते हैं। यदि आप ऐसा करते हैं तो पाकिस्तान भी ऐसा करेगा और इसके लिए अमेरिका ही जवाबदेह होगा।’
खार ने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाने के स्तर पर यह कहना सही होगा कि दोनों देशों के बीच गंभीर समस्याएं हैं। एक दूसरे पर उंगली उठाने और बलि का बकरा बनाए जाने से कुछ हासिल नहीं होगा। हम एक परिपक्व और जवाबदेह वतन बनना चाहते हैं जो आतंकवाद के खिलाफ जंग में काफी परिवक्वता के साथ जुटा है।’
गौरतलब है कि खार की यह टिप्पणी अमेरिकी सेना के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन माइक मुलन के उस बयान के जवाब में आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के हक्कानी नेटवर्क से करीबी रिश्ते हैं। अफगान तालिबान प्रायोजित आतंकवाद में हक्कानी गुट की अहम भूमिका रही है। मुलन ने कहा था कि आईएसआई ने बीते 13 सितंबर को काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास पर हुए आतंकी हमले में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने आईएसआई पर हक्कानी गुट के आतंकियों की मदद करने का आरोप भी लगाया। मुलन ने यहां तक कह दिया कि हक्कानी गुट आईएसआई का असली हाथ है।
अमेरिकी सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आईएसआई का हक्कानी गुट के आतंकवादियों को समर्थन और पनाह देने का पुराना रिकॉर्ड रहा है। ऐसे में इस बात की आशंका से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता कि काबुल में हुए हमलों में आईएसआई का हाथ हो। इस हमले में 27 लोगों की मौत हुई थी। अमेरिकी दूतावास पर हुआ यह हमला हिंसक घटनाओं की श्रृंखला में एक ताजा कड़ी है जिससे अफगानिस्तान में जंग को शांतिपूर्ण तरीके से विराम देने की अमेरिकी कोशिश को तगड़ा झटका लगा है।
अपने ठिकानों पर हमले से बौखलाए अमेरिका की सीनेट की एक समिति ने पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक व सामरिक मदद के लिए शर्त लगाए जाने का प्रस्ताव पास कर दिया है। प्रस्ताव के मुताबिक अगर अमेरिका को हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी समूहों से लड़ने में पाकिस्तान मदद करता है, तभी उसे सहायता मिलेगी। पहले मुलन की टिप्पणी और इस पर खार के पलटवार को ऐसे समय में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में ताजा कड़वाहट के तौर पर देखा जा रहा है, जब दोनों देशों के रिश्ते बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं।
अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध उस वक्त कटु हो गए थे जब अमेरिकी सैनिकों ने बीते मई में एक बेहद गुप्त ऑपरेशन में पाकिस्तान के ऐबटाबाद में घुसकर अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था।
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